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Up Kiran, Digital Desk:  एक उद्यमी का दावा है कि दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते रणनीतिक निवेश उच्च ब्याज दर वाले लोन और बड़े बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के कारण कई देश आर्थिक और राजनीतिक रूप से कमजोर हो रहे हैं और बर्बादी की ओर जा रहे हैं।

उद्यमी राजेश साहनी के अनुसार बांग्लादेश भी अब अराजकता और पतन की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया के 8 में से 5 देशों - श्रीलंका मालदीव पाकिस्तान अफगानिस्तान और नेपाल - की अर्थव्यवस्थाएं ध्वस्त हो गई हैं हालांकि आंकड़ों से यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है मगर आंतरिक तनाव मौजूद है।

बांग्लादेश में विरोध और कट्टरता बढ़ रही है। अंतरिम सरकार काबू में कमजोर दिख रही है और सेना ने संकट की चेतावनी दी है। महंगाई बहुत ज्यादा है निवेश कम हुआ है और विकास दर गिरने का अनुमान है।

श्रीलंका बहुत गरीबी महंगाई और खराब मुद्रा से जूझ रहा है। उसने 2022 में बाहरी कर्ज चुकाना बंद कर दिया था और उसका आधा से ज्यादा विदेशी लोन चीन को देना है। चीनी परियोजनाओं से उसे सीमित लाभ मिला है और कर्ज चुकाना जोखिम भरा है।

मालदीव की जीडीपी वृद्धि दर अच्छी रहने की उम्मीद है मगर उसका 20% लोन चीन का है। पर्यटन पर अत्यधिक निर्भरता और चीन के साथ एफटीए व्यापार घाटे को बढ़ा सकता है।

पाकिस्तान कंगाली के कगार पर है जिसकी प्रति व्यक्ति जीडीपी नेपाल बांग्लादेश और श्रीलंका से भी कम है। राजनीतिक अस्थिरता बेरोजगारी और कमजोर वित्तीय स्थिति बनी हुई है। चीन से मिले CPEC के कर्जों ने बुनियादी ढांचे को बढ़ाया है मगर कर्ज और जोखिम भी बढ़े हैं।

अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था अलग-थलग है और सहायता पर निर्भर है जहाँ गरीबी चरम पर है और चीन की भागीदारी सीमित है। नेपाल कागज पर स्थिर दिख रहा है मगर चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे और चीनी समर्थन वाले बुनियादी ढांचे पर बढ़ती निर्भरता का सामना कर रहा है।
 

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