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Mughal Emperor: मुगल बादशाहों की मृत्यु के बाद रानियों को उनके शाही दरबार से आर्थिक सहायता दी जाती थी। उन्हें पेंशन और अन्य सुविधाएं दी गईं ताकि उन्हें किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। अपने राजा की मौत के बाद मुगल रानियां अपना जीवन हरम की देखभाल और धार्मिक-सामाजिक कामों में गुजारती थीं।

मुग़ल हरम मुग़ल सम्राट की मृत्यु के बाद भी जारी रहा। वहां की रानियों और दासियों का पूरा ख्याल रखा जाता था। यदि रानी के बच्चे होते तो उनकी सुरक्षा और पालन-पोषण राजशाही की जिम्मेदारी होती थी। यदि कोई बेटा या बेटी सत्ता में आए, तो रानी का प्रभाव और पद जारी रहेगा।

राजा की मृत्यु के बाद भी रानी का रुतबा और सम्मान कायम रहा। उन्हें बेगम या महल कहा जाता था। कुछ रानियों ने धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग अपनाया। इसके लिए उन्होंने महल छोड़ दिया और किसी मठ या धार्मिक स्थान पर रहने लगे।

यदि राजवंश के भीतर उत्तराधिकार को लेकर कोई संघर्ष होता तो रानियों को राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बनना पड़ता। इतिहास ऐसे कई उदाहरण आज भी मौजूद हैं। 
 

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