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Up kiran,Digital Desk : उत्तर प्रदेश में सरकारी टीचर बनने का सपना देख रहे लाखों युवाओं के लिए एक बड़ी खबर है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने UPPSC द्वारा निकाली गई TGT (प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक) भर्ती प्रक्रिया पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि आखिर बिना TET (शिक्षक पात्रता परीक्षा) पास किए कोई भी अभ्यर्थी क्लास 6 से 8 तक का टीचर कैसे बन सकता है? इस मामले को गंभीर मानते हुए कोर्ट ने सरकार को जवाब देने के लिए सिर्फ तीन दिन का वक्त दिया है और कड़ी चेतावनी भी दी है।

क्या है यह पूरा मामला, आसान भाषा में समझिए

यह पूरा विवाद एक नियम को लेकर है, जिसे नजरअंदाज किया जा रहा है।

  • कानून क्या कहता है? राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) की गाइडलाइन बिल्कुल साफ है। कानून कहता है कि क्लास 1 से लेकर 8 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए किसी भी टीचर का TET पास होना अनिवार्य है। इसमें कोई छूट नहीं दी जा सकती।
  • सरकार क्या कर रही है? याचिकाकर्ताओं का आरोप  कि उत्तर प्रदेश सरकार इस नियम का उल्लंघन कर रही है। सरकार TGT भर्ती में ऐसे अभ्यर्थियों को भी मौका दे रही है, जिन्होंने अपर प्राइमरी (क्लास 6 से 8) का TET पास नहीं किया है। यह सीधे-सीधे शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 का उल्लंघन है।

क्यों हो रही है यह 'गलती'?

याचिकाकर्ताओं की तरफ से कोर्ट में दलील दी गई कि सरकार एक पुराने सिस्टम की आड़ ले रही है।
दरअसल, सालों पहले 'सीटी ग्रेड' नाम का एक कैडर होता था, जिसे 1989 में खत्म कर दिया गया। अब सरकार उसी पुराने सिस्टम की आड़ लेकर एलटी ग्रेड (यानी TGT) टीचरों से ही क्लास 6 से 8 तक के बच्चों को पढ़वा रही है, जबकि इनमें से कई ने TET पास नहीं किया है।

कोर्ट का सख्त रुख

जस्टिस सरल श्रीवास्तव और जस्टिस सुधांशु चौहान की बेंच ने इस मामले को काफी गंभीर माना है। कोर्ट ने न सिर्फ 3 दिन में सरकार से जवाब मांगा है, बल्कि यह भी साफ कर दिया है कि अगर तय समय में जवाब नहीं दिया गया, तो माध्यमिक शिक्षा निदेशक को खुद कोर्ट में सारे रिकॉर्ड के साथ हाजिर होना होगा।

इस याचिका पर कोर्ट का फैसला उत्तर प्रदेश की TGT भर्ती प्रक्रिया की दिशा बदल सकता है। अगर कोर्ट याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाता है, तो TGT भर्ती के नियमों में बड़ा बदलाव करना पड़ सकता है।