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Up Kiran, Digital Desk: एक समय जिस मोटे अनाज (मिलेट्स) को गरीबों का खाना समझा जाता था, आज वही देश की नई बिजनेस क्रांति का केंद्र बन रहा है. हैदराबाद में आयोजित तीन दिवसीय "नेशनल मिलेट स्टार्टअप समिट 2025" ने यह साबित कर दिया कि रागी, बाजरा, और ज्वार जैसे मिलेट्स में भारत का अगला बड़ा 'यूनिकॉर्न स्टार्टअप' बनाने की पूरी क्षमता है.

इस समिट में 18 राज्यों से 120 से ज़्यादा युवा और महत्वाकांक्षी उद्यमी शामिल हुए, जिनके पास मिलेट को लेकर एक से बढ़कर एक इनोवेटिव आइडिया थे. 'मिलेट्स द बेस्ट फ़ूड (MBF)' द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का मकसद इन नए उद्यमियों को वो हर ज़रूरी स्किल और ज्ञान देना था, जिससे वे अपने आइडिया को एक सफल और बड़े ब्रांड में बदल सकें.

सिर्फ खेती नहीं, अब ब्रांडिंग का है ज़माना

समिट का मुख्य फोकस सिर्फ मिलेट उगाने पर नहीं, बल्कि उसकी प्रोसेसिंग, वैल्यू एडिशन, और सबसे ज़रूरी, ब्रांडिंग पर था. विशेषज्ञों ने उद्यमियों को सिखाया कि कैसे वे मिलेट से बने उत्पादों को आज के बाज़ार के हिसाब से पैक कर सकते हैं, उसकी मार्केटिंग कर सकते हैं, और उसे आम उपभोक्ताओं के लिए आकर्षक बना सकते हैं.

MBF के चेयरमैन श्रीनिवास सरकादम ने कहा, "हमारा लक्ष्य सिर्फ किसानों को ट्रेनिंग देना नहीं, बल्कि मिलेट से जुड़े हर व्यक्ति को एक सफल आंत्रप्रेन्योर बनाना है. हम उन्हें खेत से लेकर सुपरमार्केट के शेल्फ तक की पूरी यात्रा के लिए तैयार कर रहे हैं."

बिस्कुट, केक से लेकर पास्ता तक

समिट में यह दिखाया गया कि मिलेट सिर्फ खिचड़ी या रोटी तक ही सीमित नहीं है. इससे बिस्कुट, केक, पास्ता, नूडल्स, और यहां तक कि एनर्जी बार जैसे सैकड़ों वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट बनाए जा सकते हैं, जिनकी आज के हेल्थ-कॉन्शियस बाज़ार में भारी मांग है.

यह समिट सिर्फ एक इवेंट नहीं, बल्कि एक आंदोलन की शुरुआत है. यह दिखाता है कि भारत का पारंपरिक ज्ञान और अनाज, जब आज की युवा सोच और टेक्नोलॉजी के साथ मिलता है, तो यह न केवल लोगों की सेहत सुधार सकता है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी एक नई ऊंचाई पर ले जा सकता है.