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भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया युद्धविराम (सीजफायर) की घोषणा के बाद देश की सियासत गरमा गई है। पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा किए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर मोदी सरकार ने इसे बड़ी सैन्य सफलता बताया, लेकिन युद्धविराम के फैसले पर कांग्रेस ने सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्टी का कहना है कि देश को अंधेरे में रखकर यह निर्णय क्यों लिया गया और क्या अमेरिका ने इसमें कोई भूमिका निभाई?
कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। पार्टी जानना चाहती है कि पाकिस्तान से आतंकवाद खत्म करने का कोई ठोस आश्वासन मिला था या नहीं। साथ ही, वह अमेरिका की कथित मध्यस्थता को लेकर भी मोदी सरकार को घेरे हुए है।
कांग्रेस नेताओं ने यह मुद्दा इसलिए भी उठाया है क्योंकि 2016 में उरी हमले के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में पुलवामा के बाद एयर स्ट्राइक से बीजेपी को चुनावी फायदा मिला था। कांग्रेस को आशंका है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए भी सत्ताधारी पार्टी राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का उदाहरण देते हुए मोदी सरकार की तुलना उस दौर से की है। पार्टी ने कहा कि इंदिरा गांधी ने 1971 में अमेरिकी दबाव के बावजूद पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक सैन्य कार्रवाई की थी और बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाई थी। वहीं, आज की सरकार अमेरिका की मध्यस्थता से पीछे हटती दिख रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए सेना के शौर्य की सराहना की और पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया। लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि सरकार असल मुद्दों से ध्यान हटाकर राष्ट्रवाद की राजनीति कर रही है।
अब देखना होगा कि मोदी सरकार सीजफायर पर कांग्रेस की पारदर्शिता की मांग को कैसे जवाब देती है और यह मुद्दा आगामी चुनावों में क्या सियासी रंग लेता है।
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