
दिल्ली से एक चौंकाने वाली और दुखद खबर सामने आई है, जहां कक्षा 10वीं के एक छात्र ने आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि छात्र ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की परीक्षा में 83 प्रतिशत अंक हासिल किए थे, लेकिन इसके बावजूद वह अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं था।
घटना राजधानी दिल्ली के एक रिहायशी इलाके की है। परिजनों के अनुसार, छात्र पढ़ाई में अच्छा था और नियमित रूप से मेहनत करता था। बोर्ड परीक्षा के नतीजे आने के बाद जब उसने देखा कि उसे 83 प्रतिशत अंक मिले हैं, तो वह भीतर से काफी निराश नजर आने लगा। परिजनों ने यह भी बताया कि उसने खुद पर काफी दबाव बना रखा था और उम्मीद कर रहा था कि वह 90 प्रतिशत से ऊपर अंक लाएगा।
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं बताती हैं कि आज के छात्रों पर सिर्फ अकादमिक दबाव ही नहीं, बल्कि समाज और परिवार की अपेक्षाओं का भी बोझ बढ़ता जा रहा है। छात्र का आत्मविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य परीक्षा परिणामों से सीधे प्रभावित होता है।
पुलिस ने घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं किया है, लेकिन शुरुआती जांच में सामने आया है कि छात्र परीक्षा के परिणाम से काफी आहत था। फिलहाल पुलिस मामले की छानबीन कर रही है और परिवार के सदस्यों से भी पूछताछ की जा रही है।
यह घटना एक बार फिर इस बात पर सोचने को मजबूर करती है कि बच्चों की मानसिक सेहत को लेकर हम कितने सजग हैं। अभिभावकों और शिक्षकों के लिए यह जरूरी है कि वे बच्चों को सिर्फ नंबरों से नहीं, बल्कि उनके प्रयास और मनोबल से परखें।
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