प्रभात वैभव डेस्क। एक देश एक चुनाव लोकतंत्र को कमज़ोर करने की आरएसएस की पुरानी साज़िश का हिस्सा है। भाजपा 400 सीट मिलने पर संविधान बदल देती। उतनी सीटें नहीं मिलीं तो अब एक देश एक चुनाव के जुमले से लोकतंत्र को खत्म करना चाहती है। जो लोग आज एक देश एक चुनाव की बात कर रहे हैं वो कल एक देश एक धर्म, एक देश एक जाति, एक देश एक उद्योगपति की भी बात करेंगे। देश इस साज़िश को कभी सफल नहीं होने देगा।
उक्त बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 162 वीं कड़ी में कही। शाहनवाज़ आलम ने कहा कि आरएसएस और हिंदू महासभा शुरू से ही चुनावी लोकतंत्र के खिलाफ़ रहे हैं। आरएसएस चाहता था कि देश में मनुवादी व्यवस्था क़ायम हो, जिसमे चुनाव की व्यवस्था नहीं रहती। इसीलिए उसने सभी को समान मताधिकार देने के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष बाबा साहब भीमराव आंबेडकर का विरोध किया था।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि आरएसएस और भाजपा जिस समाज को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, सबसे पहले उस समाज के आदमी का चेहरा ही आगे कर देते हैं। इसी साज़िश के तहत दलित समाज से आने वाले पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आगे करके चुनावी व्यवस्था को खत्म करना चाहती है। यह अफसोस और चिंता की बात है कि बसपा प्रमुख मायावती ने एक देश एक चुनाव जैसे लोकतंत्र विरोधी साज़िश का समर्थन किया है।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पिछले साल 21 नवंबर को रामनाथ कोविंद ने रायबरेली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार की मंशा को ज़ाहिर कर दिया था कि एक देश एक चुनाव से उस पार्टी को फ़ायदा होगा जो सत्ता में रहेगी। उन्होंने कहा कि जब कमेटी के अध्यक्ष ने ही इसका उद्देश्य बता दिया तो फिर इसपर कोई कंफ्यूजन नहीं होना चाहिए कि यह पूरी साज़िश लोकतंत्र को ही खत्म कर देने की है।
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