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Up Kiran, Digital Desk: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। एक टीवी चैनल पर होने वाली ऑपरेशन सिंदूर' नामक बहस से उन्हें ऐन वक्त पर हटाए जाने के बाद, उन्होंने एक 'गूढ़' सोशल मीडिया पोस्ट किया है, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।

 तिवारी को 'ऑपरेशन सिंदूर' पर होने वाली बहस से इसलिए रोका गया क्योंकि उनके विचार पार्टी की आधिकारिक लाइन से 'अलग' या 'अधिक सूक्ष्म' हो सकते थे। कांग्रेस नेतृत्व शायद किसी ऐसे प्रवक्ता को मंच पर नहीं चाहता था जिसके विचार पार्टी की स्पष्ट स्थिति से मेल न खाते हों, खासकर जब विषय इतना संवेदनशील हो।

 यह पहली बार नहीं है जब मनीष तिवारी को पार्टी के भीतर से 'नियंत्रित' किया गया है; अतीत में भी उनके कुछ विचारों को लेकर पार्टी में असंतोष देखा गया है, जब उन्होंने कुछ मामलों पर 'विपरीत' या 'अलग' राय रखी थी।

बहस से हटाए जाने के तुरंत बाद, मनीष तिवारी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक छोटा लेकिन गहरा संदेश पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, "भारत की बात सुनाता हूं...।" इस एक वाक्य ने कई अटकलों को जन्म दिया है कि क्या वे पार्टी के इस फैसले पर अपनी 'आजाद' आवाज के दमन का संकेत दे रहे हैं, या सिर्फ अपने विचारों को व्यक्त करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहरा रहे हैं।

यह घटना कांग्रेस के भीतर 'विद्रोही' आवाजों को नियंत्रित करने की पार्टी की कोशिशों को दर्शाती है। विशेष रूप से जब राष्ट्रीय टेलीविजन पर संवेदनशील मुद्दों पर बहस हो रही हो, तो पार्टियां अपने प्रवक्ताओं से एक सख्त और सुसंगत संदेश देने की उम्मीद करती हैं।

 मनीष तिवारी जैसे नेता, जिनकी अपनी स्वतंत्र राय और मजबूत बौद्धिक पृष्ठभूमि है, कई बार पार्टी लाइन के लिए चुनौती बन सकते हैं। 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे संवेदनशील विषयों पर, जहां राष्ट्रीय विमर्श तीव्र और ध्रुवीकृत होता है, पार्टी शायद किसी भी तरह के 'भ्रम' से बचना चाहती थी।

मनीष तिवारी का यह 'गूढ़' पोस्ट कांग्रेस के भीतर जारी संवाद और मतभेदों को एक बार फिर सार्वजनिक मंच पर ले आया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह घटना पार्टी के भीतर 'आंतरिक लोकतंत्र' और 'विचारों की स्वतंत्रता' की बहस को किस दिशा में ले जाती है।

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