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Delhi election: BJP ने आज दिल्ली विधानसभा में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को हराकर भगवा परचम लहराया है। भाजपा को 48 सीटों पर शानदार जीत मिली। इसलिए आप को केवल 22 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। कांग्रेस पार्टी इस चुनाव में अपना खाता भी नहीं खोल पाई। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस खाता भी नहीं खोल सकी। मगर कांग्रेस की इस चालाकी ने आम आदमी पार्टी को भी मूर्ख बना दिया है। कई सीटों पर कांग्रेस को मिले वोटों के कारण आप उम्मीदवारों की हार मामूली अंतर से हुई है। यहां तक कि खुद अरविंद केजरीवाल भी इससे बच नहीं सके।
2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 53 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे। भाजपा को 38.51 प्रतिशत वोट मिले। इस साल आप को 43.61 प्रतिशत वोट मिले हैं। भाजपा 45.88 प्रतिशत वोटों के साथ पहले स्थान पर पहुंच गई है। यद्यपि यह अंतर केवल 2.27 प्रतिशत था, मगर दिल्ली में सत्ता हासिल करने के लिए ये बहुत बड़ा था।
70 में से 67 सीटों पर कांग्रेस की जमानत जब्त; 'गोल्डन डक' की हैट्रिक
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के केवल तीन उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में सफल रहे। इसमें प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव भी शामिल हैं। यादव को 40,000 से अधिक वोट मिले। दिल्ली के कस्तूरबा नगर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक दत्त अपनी जमानत बचाने में सफल रहे हैं। नांगलोई जाट तीसरी सीट है जहां कांग्रेस अपनी जमानत बचाने में सफल रही है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में शेष 70 सीटों में से कांग्रेस 67 सीटों पर अपनी जमानत भी नहीं बचा सकी।
15 साल तक सत्ता में रही कांग्रेस 15 साल में एक भी सीट नहीं जीत सकी।
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व में 15 साल बाद सत्ता से बेदखल हुई सरकार अब तक सत्ता में वापस नहीं आ सकी है। हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार कांग्रेस के वोट शेयर में दो प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। कांग्रेस को लगभग 6.4 प्रतिशत वोट मिले। 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्हें 4.26 प्रतिशत वोट मिले थे। यही एकमात्र बात है जो कांग्रेस के लिए कुछ हद तक राहत देने वाली मानी जा रही है। 1998 से 2013 तक दिल्ली की राजनीति में स्वर्णिम काल का आनंद लेने वाली कांग्रेस लगातार तीन विधानसभा चुनावों में एक भी सीट जीतने में असफल रही।