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दुनिया की सबसे खूबसूरत और शानदार इमारतों में शुमार ताजमहल अपनी अद्भुत सुंदरता और बेमिसाल शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है। मुगल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी प्रिय पत्नी मुमताज महल की याद में इस ऐतिहासिक धरोहर का निर्माण करवाया था। ताजमहल का निर्माण कार्य वर्ष 1632 में शुरू हुआ और 1648 में जाकर पूरा हुआ- यानी लगभग 16 सालों की लंबी अवधि में इस सपने को आकार दिया गया।

जब आधुनिक सीमेंट नहीं था तब किससे बना था ताजमहल

आज के समय में इमारतों के निर्माण में आधुनिक सीमेंट का व्यापक उपयोग होता है लेकिन जब ताजमहल बनाया गया था तब इस तकनीक का कोई अस्तित्व नहीं था। इसके बावजूद ताजमहल की मजबूती और टिकाऊपन आज भी दुनिया को चकित करता है। आईये जाने इसे बनाने में कौन कौन सी प्रमुख सामग्री लगी थी।

चूने को पानी में बुझाकर तैयार किया गया मिश्रण जो एक शक्तिशाली बाइंडिंग एजेंट के रूप में इस्तेमाल हुआ। मजबूत नींव के लिए इस्तेमाल की गईं। अतिरिक्त मजबूती के लिए कंकड़ चूना  का इस्तेमाल किया गया।

बुझा हुआ चूना और कंकड़ चूना मिलकर एक ऐसा बाइंडिंग मिश्रण तैयार करते थे जो आज भी आधुनिक सीमेंट का मजबूत विकल्प माना जा सकता है। इसी तकनीक से ताजमहल जैसी अद्भुत संरचना खड़ी की गई जो सदियों बाद भी वैसी ही चमकती और अडिग खड़ी है।

सफेद मकराना संगमरमर की अद्भुत भूमिका

ताजमहल की दीवारों और गुंबदों की चमचमाती सुंदरता का रहस्य राजस्थान के मकराना से लाए गए संगमरमर में छुपा है। मकराना का संगमरमर दुनिया भर में मशहूर है जिसकी गुणवत्ता और टिकाऊपन के कारण आज भी ताजमहल वैसा ही दमकता है जैसे सदियों पहले।

इस संगमरमर में विशेष प्रकार की चिकनाई और सफेदी है जो सूरज की रोशनी में हल्के सुनहरे और चांदी जैसे रंग बदलते हुए दिखाई देती है। यही गुण ताजमहल को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करते हैं।
 

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