MeToo Campaign: केरल हाई कोर्ट ने आज राज्य सरकार पर न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट के आधार पर निष्क्रियता और केस दर्ज न करने के लिए कड़ी फटकार लगाई, जिसने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के यौन शोषण को उजागर किया था। जज नांबियार और जज सुधा की विशेष पीठ ने सरकार द्वारा बनाई गई टीम को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, हालांकि इसने मीडिया पर रोक लगाने से मना कर दिया।
ये देखते हुए कि रिपोर्ट 2019 में सरकार को सौंप दी गई थी, अदालत ने कहा, "हम मुख्य रूप से राज्य की निष्क्रियता से चिंतित हैं, जिसमें एफआईआर दर्ज नहीं करना भी शामिल है, आपने 4 साल में रिपोर्ट पर बैठे रहने के अलावा कुछ नहीं किया है।"
हाईकोर्ट ने आगे कहा, "समाज में महिलाओं के सामने आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए आप क्या कर रहे हैं? सिर्फ फिल्म उद्योग ही नहीं। स्थिति खराब है और वो भी हमारे जैसे राज्य में। हमारे राज्य में महिलाओं की आबादी ज्यादा है। यह हमारे लिए अल्पसंख्यकों का मुद्दा नहीं है... टीम को इन सब पर गौर करना चाहिए।"
बता दें कि केरल सरकार ने 2017 में न्यायमूर्ति हेमा समिति का गठन किया था। 19 अगस्त, 2024 को सार्वजनिक की गई रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के उत्पीड़न और शोषण के मामलों का खुलासा किया गया है।
रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद कई अभिनेताओं और सितारों के खिलाफ यौन उत्पीड़न और शोषण के आरोपों की झड़ी लग गई है। पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली सरकार ने मामलों की जांच के लिए सात सदस्यीय टीम का गठन किया।
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