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Up Kiran, Digital Desk: तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने हाल के दिनों में उनके उत्तराधिकारी को लेकर उठ रहे कयासों पर एक तरह से विराम लगाते हुए यह स्पष्ट संकेत दिया है कि उनका उद्देश्य अभी लंबे समय तक लोगों की सेवा करते रहना है। 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो, जो दशकों से भारत के हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासन में रह रहे हैं, ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वे आगे भी 30 से 40 वर्षों तक जीवित रहेंगे और मानवता के कल्याण के कार्य करते रहेंगे।
यह बयान उन्होंने शनिवार को मैकलोडगंज स्थित मुख्य तिब्बती मंदिर त्सुगलागखांग में आयोजित एक दीर्घायु प्रार्थना कार्यक्रम के दौरान दिया, जो उनके 89वें जन्मदिवस से एक दिन पहले आयोजित किया गया था।
'अवलोकितेश्वर का आशीर्वाद मेरे साथ'
कार्यक्रम में उपस्थित अनुयायियों और संतों को संबोधित करते हुए दलाई लामा ने बताया कि उन्हें स्पष्ट रूप से ऐसे संकेत मिल रहे हैं जो यह दर्शाते हैं कि अवलोकितेश्वर (तिब्बती बौद्ध परंपरा में करुणा के प्रतीक देवता) की कृपा उनके साथ है। उन्होंने कहा, "कई भविष्यवाणियों और आध्यात्मिक अनुभूतियों को ध्यान में रखते हुए, मुझे यह महसूस होता है कि मुझे ईश्वरीय मार्गदर्शन मिल रहा है। मैंने हमेशा पूरी निष्ठा से कार्य किया है और भविष्य में भी मैं सेवा करता रहना चाहता हूं।"
'देश छूट गया, पर सेवा का रास्ता नहीं'
अपने निर्वासन जीवन की चर्चा करते हुए दलाई लामा ने कहा, "हमारा देश हमसे छिन गया, लेकिन भारत की भूमि पर रहते हुए भी हमने बौद्ध धर्म के प्रसार और लोगों के उत्थान के कार्य जारी रखे हैं। विशेष रूप से धर्मशाला में रहते हुए, मैं कई जीवात्माओं के कल्याण का माध्यम बन सका हूं। मैं जब तक संभव हो, इसी उद्देश्य के साथ जीवन बिताना चाहता हूं—कि अधिक से अधिक लोगों की सहायता कर सकूं।"
'आपकी प्रार्थनाओं ने मुझे शक्ति दी'
दलाई लामा ने अपने अनुयायियों की प्रार्थनाओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अब तक उनके जीवन में जो स्थायित्व और ऊर्जा बनी रही है, उसका श्रेय वे उन सामूहिक प्रार्थनाओं को भी देते हैं। "आप सभी की शुभकामनाएं और प्रार्थनाएं अब तक मेरे लिए अत्यंत फलदायी रही हैं। यह आंतरिक बल ही है जो मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है," उन्होंने नम्रता से कहा।
उत्तराधिकारी पर सस्पेंस बरकरार
हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर अपने उत्तराधिकारी को लेकर कोई औपचारिक घोषणा नहीं की, लेकिन यह स्पष्ट किया कि फिलहाल उनका ध्यान उत्तराधिकारी चयन पर नहीं, बल्कि अपने जीवन के शेष वर्षों को सेवा और साधना में लगाने पर केंद्रित है। इससे यह संकेत मिला है कि तिब्बती समुदाय में इस विषय पर चल रही चर्चाओं को अभी विराम मिलेगा।
दलाई लामा के इन विचारों ने न सिर्फ उनके अनुयायियों में नई ऊर्जा भरी है, बल्कि विश्व भर के उन लोगों को भी आश्वस्त किया है जो उन्हें एक करुणामयी नेतृत्व और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक मानते हैं।
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