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Up Kiran, Digital Desk: जालौन जिले के औरेखी गांव में एक पारिवारिक विवाद ने सामाजिक मर्यादाओं को झकझोर कर रख दिया, जब एक 52 वर्षीय व्यक्ति के निधन के बाद उसका अंतिम संस्कार दो दिन तक अटका रहा। कारण था – पारिवारिक जमीन का बंटवारा। अंत में, बेटी ने पिता को मुखाग्नि देकर न केवल अंतिम संस्कार की रस्म पूरी की, बल्कि इंसाफ की लड़ाई की भी शुरुआत की।
अचानक बिगड़ी तबीयत, कुछ ही घंटों में मौत
ग्राम औरेखी निवासी सुरेश कुमार की तबीयत शनिवार को अचानक खराब हुई। उन्होंने खुद अपने बड़े भाई से उन्हें सीएचसी ले चलने को कहा। इलाज के बाद जब वे घर लौटे, तो कुछ ही समय में उनका निधन हो गया। यह मौत स्वाभाविक थी या इसके पीछे कुछ और, इस पर संदेह की शुरुआत यहीं से हुई।
बेटी को हुआ शक, पुलिस को दी जानकारी
सुरेश की इकलौती संतान शिल्पी को जब पिता की मृत्यु की सूचना मिली, तो वह तुरंत ससुराल से अपने गांव पहुंची। पिता की मौत पर उसे संदेह हुआ और उसने स्थानीय पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। रिपोर्ट रविवार की शाम को आ भी गई, लेकिन अंतिम संस्कार नहीं हो पाया।
जमीन बंटवारे को लेकर दो दिन तक तनाव
सुरेश कुमार के माता-पिता के नाम कुल 11 बीघा खेती योग्य जमीन दर्ज है। जब शव गांव लौटा, तो सुरेश की पत्नी ने साफ शब्दों में जमीन के बंटवारे की मांग रख दी। इसी मुद्दे को लेकर रविवार और सोमवार, दोनों दिन पंचायत और पारिवारिक चर्चाएं होती रहीं। शोक की इस घड़ी में भी जमीन का विवाद इतना हावी रहा कि शव का संस्कार टलता रहा।
पुलिस की मौजूदगी में हुई अंतिम क्रिया
लगातार दो दिन की बातचीत और दबाव के बाद पिता माता प्रसाद ने जमीन को सुरेश की पत्नी और बड़े बेटे के बीच बांटने पर सहमति जताई। इसके बाद सोमवार शाम पुलिस की मौजूदगी में बेटी शिल्पी ने पिता की अर्थी को कंधा दिया और श्मशान घाट ले जाकर अंतिम संस्कार किया।
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