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indian army: भारतीय फौज की गोरखा यूनिट अपनी बहादुरी, दिलेरी और युद्ध कौशल के लिए विश्वभर में मशहूर है। इसमें नेपाली मूल के सैनिकों के साथ-साथ भारतीय जवान भी शामिल हैं। गोरखा यूनिट को दुश्मनों के लिए "मौत का दूसरा नाम" माना जाता है। इसकी स्थापना 24 अप्रैल 1815 को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा हिमाचल प्रदेश के सुबाथू में की गई थी और यह आज भारतीय सेना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

गोरखा रेजिमेंट की पहचान खुखरी से होती है, जो एक धारदार खंजर है, जिसका उपयोग युद्ध के दौरान दुश्मनों के खिलाफ किया जाता है। गोरखा सैनिकों का नारा "जय महाकाली, आयो गोरखाली" होता है, जो उनकी वीरता और एकता को दर्शाता है।

सन् 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, गोरखा रेजिमेंट का विभाजन हुआ और छह रेजिमेंट भारतीय सेना में शामिल की गईं। वर्तमान में, यह रेजिमेंट पहाड़ी क्षेत्रों में लड़ाई में माहिर मानी जाती है और इसकी भर्ती गोरखपुर में होती है। गोरखा रेजिमेंट विश्व के कई हिस्सों में फैली हुई है, जिसमें भारतीय शहरों के अलावा नेपाल, ब्रिटेन, ब्रुनेई और सिंगापुर शामिल हैं।

गोरखा रेजिमेंट ने कई महत्वपूर्ण युद्धों में भाग लिया है और अपनी बहादुरी से अंग्रेजों को जीत दिलाई है। आज भी, यह रेजिमेंट भारतीय सेना की सबसे खतरनाक और प्रभावशाली इकाइयों में से एक मानी जाती है।

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