
जोहान्सबर्ग से एक अहम वैश्विक संदेश आया है, जहां दक्षिण अफ्रीका ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की पूरी क्षमताओं को मानवता की सेवा में उपयोग करने के लिए G-20 देशों से सहयोग की अपील की है। यह अपील ऐसे समय आई है जब दुनियाभर में AI का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है और देश अपनी-अपनी नीतियों के जरिए इसे अपनाने की कोशिश कर रहे हैं।
G-20 बैठक में उठी आवाज
दक्षिण अफ्रीका के संचार और डिजिटल प्रौद्योगिकी उपमंत्री मोंडली गुंगुबेले ने हाल ही में आयोजित G-20 कार्यबल की एक बैठक में यह मुद्दा उठाया। इस बैठक का आयोजन “सतत विकास के लिए एआई, डेटा, गवर्नेंस और नवाचार” विषय पर किया गया था। उन्होंने कहा कि हम अब डिजिटल औद्योगिक क्रांति के निर्णायक मोड़ पर खड़े हैं और ऐसे में यह आवश्यक है कि AI के बढ़ते प्रभाव को समझा जाए और इसका समुचित उपयोग किया जाए।
गुंगुबेले ने जोर देते हुए कहा, "AI केवल तकनीक नहीं, बल्कि यह हमारी अर्थव्यवस्थाओं, शासन व्यवस्था और रोजमर्रा की जिंदगी को नए ढंग से परिभाषित कर रहा है।"
2025 में G-20 की अध्यक्षता करेगा दक्षिण अफ्रीका
दक्षिण अफ्रीका अगले वर्ष यानी 2025 में G-20 की अध्यक्षता करेगा और यह अपील इस दिशा में उसकी रणनीतिक सोच को दर्शाती है। उपमंत्री गुंगुबेले ने यह स्पष्ट किया कि उनकी सरकार AI को केवल तकनीकी नवाचार नहीं, बल्कि वैश्विक सामाजिक न्याय और समानता के साधन के रूप में देख रही है।
ग्लोबल साउथ के लिए अवसर
गुंगुबेले ने अपने भाषण में ग्लोबल साउथ के देशों के लिए AI को एक सुनहरे अवसर के रूप में पेश किया। उन्होंने कहा कि यह तकनीक सिर्फ डिजिटल अंतर को पाटने में मदद नहीं करती, बल्कि गरीबी, बेरोजगारी और असमानता जैसे गहरे सामाजिक मुद्दों से भी लड़ने का एक सशक्त माध्यम बन सकती है।
उन्होंने कहा, "AI के सहयोगात्मक इस्तेमाल से हम तकनीकी समानता के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक समानता की दिशा में भी आगे बढ़ सकते हैं। G-20 को एक मंच बनाकर हमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर नीति निर्माण और नवाचार को प्रोत्साहित करना चाहिए।"
राष्ट्रपति रामफोसा का समर्थन
इस मुद्दे पर दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सीरिल रामफोसा का भी समर्थन मिला है। उन्होंने भी यह स्वीकार किया है कि AI को नियंत्रित और सहयोगी तरीके से अपनाने से ही हम इसके सकारात्मक प्रभावों का पूरा लाभ उठा सकते हैं।