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Devotional: जंग के मैदान में हर ओर हलचल थी। रावण, अपनी मौत के करीब था। हार के इस दृश्य में भी उसके मन में एक अद्भुत शांति थी। उसे एहसास था कि अब विदाई का समय आ चुका है, और उसने लक्ष्मण को अपने पास बुलाया।

लक्ष्मण, जो राम के छोटे भाई थे, रावण के पास पहुंचे। लंकापति ने उन्हें गौर से देखा और कहा, “लक्ष्मण, मेरी बातें सुनो। आज मैं तुम्हें कुछ जरुरी ज्ञान देना चाहता हूं।”

लंकेश रावण ने कहा, “अहंकार ही इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है। मैंने अपनी शक्ति और ज्ञान का गलत इस्तेमाल किया, और यही मेरी हार का कारण बना। याद रखो, अहंकारी व्यक्ति हमेशा खुद को बर्बाद कर लेता है।”

आगे उसने कहा, “अच्छे कार्य में कभी देरी मत करो। मैंने अवसरों को गंवाया और इसका खामियाजा भुगता। समय की कदर करना महत्वपूर्ण है।”

गहरी सांस लेकर उसने कहा, “मैं जानता हूँ कि मैंने माता सीता का अपहरण किया, मगर इसके दुष्परिणाम भयानक थे। किसी पराई स्त्री पर बुरी नजर मत डालो; ये तुम्हारे और समाज के लिए ठीक नहीं है।”

रावण ने कहा, “याद रखो लक्ष्मण, ज्ञान का कोई वक्त नहीं होता। सच्चाई हमेशा अहम होती है, चाहे तुम कितने भी महान क्यों न हो।”

 

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