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Up Kiran, Digital Desk: जब इतिहास के पन्नों में दोस्ती की मिसालें ढूंढ़ी जाती हैं, तो अकबर के दरबार की याद आना लाज़मी है। आमतौर पर मुगल बादशाह अकबर को एक नीतिज्ञ और कुशल प्रशासक के रूप में जाना जाता है, मगर उनके जीवन में कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्होंने उन्हें एक शासक से ज़्यादा एक इंसान के रूप में गहराई दी। फ्रेंडशिप डे के मौके पर, चलिए नज़र डालते हैं अकबर की ज़िंदगी में उन साथियों की ओर, जिन्होंने सिर्फ दरबारी भूमिका ही नहीं निभाई, बल्कि उनके दिल में भी खास जगह बनाई।

अकबर की जिंदगी में रिश्तों की अहमियत

अकबर का शासनकाल जितना ताकतवर था, उतना ही उनके रिश्तों से भरा हुआ भी था। उन्होंने अपने नवरत्नों को केवल प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं दी, बल्कि उन्हें अपना विश्वासपात्र भी माना। इनमें तीन नाम ऐसे थे जो अकबर के लिए सिर्फ सलाहकार नहीं बल्कि आत्मीय मित्र थे बीरबल और तानसेन।

पहला दोस्त

महेश दास से बीरबल बनने की यात्रा सिर्फ एक पदवी की कहानी नहीं थी, बल्कि एक भरोसेमंद दोस्त बनने की कहानी थी। अकबर को उनके चुटीले जवाब और समझदारी इतनी पसंद आई कि वे किसी भी जटिल स्थिति में बीरबल की सलाह को प्राथमिकता देने लगे। बीरबल के साथ अकबर की मित्रता ने यह सिद्ध कर दिया कि राजसत्ता में भी इंसानियत और मज़ाकिया पहलू की अहमियत होती है।

दूसरा दोस्त

तानसेन का नाम लेते ही संगीत की लहरें मन में गूंजने लगती हैं, मगर अकबर के लिए तानसेन सिर्फ एक संगीतज्ञ नहीं थे। वह उनके भावनात्मक सहारा भी थे। कहा जाता है कि जब तानसेन दरबार में कोई राग गाते, तो अकबर केवल एक श्रोता नहीं, बल्कि एक दोस्त की तरह मंत्रमुग्ध हो जाते। राग दीपक से दीयों का जलना हो या मेघ मल्हार से बरसात, इन घटनाओं से दोनों के बीच की आत्मीयता साफ झलकती है।

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