
देवशयनी एकादशी, जिसे 'आषाढ़ी एकादशी' भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं, जिसे चातुर्मास की शुरुआत भी कहा जाता है। वर्ष 2025 में देवशयनी एकादशी 7 जुलाई को मनाई जाएगी।
इस पावन दिन से जुड़ी एक प्रेरणादायक कथा है – राजा बलि की, जिन्होंने भले ही अपना सब कुछ खो दिया, लेकिन उन्होंने भगवान विष्णु का साथ और आशीर्वाद प्राप्त किया।
राजा बलि की कथा:
राजा बलि असुरों के महान और धर्मनिष्ठ राजा थे। उन्होंने अपने पराक्रम और दानशीलता से तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था। उनकी बढ़ती शक्ति से देवता भयभीत हो गए और भगवान विष्णु से सहायता की प्रार्थना की।
भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया – एक बौने ब्राह्मण के रूप में। वामन ने राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी। बलि ने वचन दे दिया। वामन ने पहला पग आकाश में, दूसरा पग धरती पर रखा, और तीसरा पग रखने के लिए जब स्थान नहीं बचा, तो बलि ने अपना सिर आगे कर दिया। भगवान विष्णु ने तीसरा पग बलि के सिर पर रखकर उन्हें पाताल लोक भेज दिया।
हालाँकि बलि ने सब कुछ खो दिया, परंतु उनकी भक्ति और समर्पण से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि वे पाताल लोक के राजा बनेंगे और हर वर्ष एक बार, विशेष रूप से देवशयनी एकादशी के दिन, वे धरती पर आकर अपने भक्तों से मिल सकेंगे। साथ ही भगवान विष्णु स्वयं पाताल में राजा बलि के द्वारपाल बनकर रहने लगे।
--Advertisement--