
Up Kiran, Digital Desk: अपनी दमदार एक्टिंग के लिए मशहूर अभिनेता प्रतीक गांधी, जो जल्द ही अपनी आगामी स्ट्रीमिंग टाइटल ‘सारे जहां से अच्छा’ (Saare Jahan Se Accha) में नजर आने वाले हैं, ने अपने किरदार 'विष्णु' के बारे में खुलकर बात की है। प्रतीक के अनुसार, उनका किरदार न तो 'लाउड' (loud) है और न ही 'ड्रामाटिक' (dramatic), बल्कि वह शांत, संयमित और बेहद कैल्कुलेटिव (calculated) है। यह किरदार, जो एक इंटेलिजेंस ऑपरेटिव का है, उसे 'ग्रे' (grey) और 'संयमित' प्रदर्शन की आवश्यकता थी, जो उनकी पिछली भूमिकाओं से काफी अलग है।
'विष्णु शंकर': एक अलग तरह का जासूस:प्रतीक गांधी ने अपने किरदार 'विष्णु शंकर' के बारे में बताते हुए कहा, "विष्णु शंकर आपका कोई आम एक्शन हीरो नहीं है। इसमें कोई मसल-फ्लेक्सिंग या वन-लाइनर्स नहीं हैं। विष्णु संयम से काम करता है। यह सब दिमाग का खेल है, और काम का नैतिक बोझ।" उन्होंने आगे बताया कि इस किरदार को निभाने में उनकी चुनौती यह थी कि वह लगातार कर्तव्य और अंतरात्मा के बीच फंसा हुआ था।
'संयम' और 'मानसिक जटिलता' पर ज़ोर: प्रतीक के लिए, इस किरदार में 'सब कुछ छीन लेना' और सिर्फ 'मौजूद रहना' सबसे चुनौतीपूर्ण लेकिन पुरस्कारात्मक हिस्सा था। उन्होंने कहा, "वह न तो लाउड है और न ही ड्रामाटिक। वह वह व्यक्ति है जो हमेशा देखता रहता है, हमेशा सोचता रहता है। इसके लिए मुझे अपने अभिनय से सब कुछ हटाना पड़ा और बस मौजूद रहना पड़ा।"
अभिनेता ने यह भी साझा किया कि इस किरदार को निभाते हुए, उन्होंने 'अकेलेपन' और 'हमेशा ढोंग करने, हमेशा गणना करने' की भावना को महसूस किया, जो 'विष्णु' के जीवन का हिस्सा है। 'सारे जहां से अच्छा' सिर्फ एक जासूसी थ्रिलर नहीं है, बल्कि यह 'परिणामों' (consequences) वाला थ्रिलर है, जो इसे 'एंगेजिंग' (engaging) बनाता है।
'सारे जहां से अच्छा' का प्लॉट:यह सीरीज एक जासूसी थ्रिलर है, जिसकी कहानी जमीनी, गंभीर और भावनात्मक रूप से व्यक्तिगत है। यह विष्णु की यात्रा का अनुसरण करती है, जो उच्च-दांव वाले भू-राजनीतिक परिदृश्यों को बहादुरी के बजाय पैनी अंतर्दृष्टि और गहरे भावनात्मक संघर्ष के साथ नेविगेट करता है। प्रतीक गांधी, एक अत्यंत संयमित भूमिका में, बंदूक चलाने वाले, दुनिया भर में घूमने वाले जासूसों के हमारे सामान्य चित्रण से बिल्कुल अलग नजर आएंगे।
सीरीज में 'मोहनी', 'नीता', और 'शनाया' जैसी तीन हाई-सोसाइटी महिलाओं की भी झलक मिलेगी, जो अभिजात वर्ग के जुआ सर्किट पर राज करती हैं। उनका जीवन तब अप्रत्याशित मोड़ लेता है जब मोहक और काव्या जैसे बाहरी लोग उनकी दुनिया में प्रवेश करते हैं, जिससे विघ्न और उथल-पुथल की एक श्रृंखला शुरू होती है।
'सारे जहां से अच्छा' निश्चित रूप से प्रतीक गांधी के करियर में एक महत्वपूर्ण फिल्म साबित होगी, जो उनकी अभिनय क्षमता के एक नए पहलू को उजागर करेगी।
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