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Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड में पढ़ाई की बुनियाद को मज़बूत करने के लिए अब शिक्षा विभाग ने जर्जर हो चुके स्कूल भवनों पर सख्त रुख अपनाने का फैसला किया है। जिन स्कूलों की इमारतें अब बच्चों के लिए खतरा बन चुकी हैं, उनकी पहचान कर उन्हें गिराया जाएगा। खास बात यह है कि इस बार सर्वे में केवल सरकारी अफसर नहीं, बल्कि स्थानीय स्कूल प्रबंधन समिति, सामाजिक संगठन और निर्माण एजेंसियां भी हिस्सा लेंगी।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती की अध्यक्षता में हुई वर्चुअल बैठक में यह निर्णय लिया गया कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों की स्थिति का गहराई से मूल्यांकन किया जाएगा। यह सर्वे केवल दीवारों या छतों की जाँच तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पेड़ों, खुली वायरिंग और अन्य खतरनाक पहलुओं की भी पड़ताल की जाएगी—ताकि छात्र-छात्राओं की सुरक्षा को लेकर कोई चूक न हो।

इस सर्वे में बुनियादी ढांचे जैसे कि शौचालय, पीने के पानी, बैठने की व्यवस्था और बिजली की उपलब्धता को भी परखा जाएगा। यह कदम राज्य के ग्रामीण इलाकों में खासतौर पर अहम होगा, जहां कई स्कूल भवन दशकों पुराने हैं और मरम्मत के अभाव में जर्जर अवस्था में पहुंच चुके हैं।

बैठक में अधिकारियों को साफ हिदायत दी गई कि खंडहर बन चुके स्कूल भवनों को प्राथमिकता के आधार पर ध्वस्त किया जाए। अगर किसी स्कूल को गिराने में तकनीकी या बजटीय अड़चन है, तो उसका प्रस्ताव तुरंत शिक्षा निदेशालय को भेजा जाए ताकि समय रहते समाधान निकाला जा सके।

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