
क्या कोई सोच सकता है कि एक साधारण सी बात, किसी की ज़िंदगी की आखिरी बात बन जाएगी? सिपाही सौरभ ने ड्यूटी पर जाते हुए अपनी पत्नी से कहा, "मेरा खाना मत बनाना... आज खाकर आऊंगा।" लेकिन किसे पता था कि ये उसकी आखिरी बातचीत होगी।
सौरभ एक ईमानदार और मेहनती पुलिसकर्मी था, जो हमेशा अपनी ड्यूटी को पहले रखता था। उस दिन भी वह रोज की तरह यूनिफॉर्म पहनकर घर से निकला। जाने से पहले उसने पत्नी से कहा कि वह बाहर से खाना खाकर लौटेगा, इसलिए खाना न बनाए। पत्नी ने भी हँसते हुए हामी भर दी।
कुछ ही समय बाद, घर पर एक दर्दनाक खबर पहुंची— सौरभ की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। यह खबर सुनकर परिवार का दिल टूट गया। पत्नी, जो कुछ घंटे पहले तक उसकी मुस्कान देख रही थी, अब सदमे में थी।
पुलिस विभाग ने हादसे की पुष्टि करते हुए बताया कि सौरभ बाइक से थाने जा रहा था, तभी एक तेज़ रफ्तार वाहन ने उसे टक्कर मार दी। अस्पताल ले जाते समय उसने दम तोड़ दिया।
परिवार, साथी कर्मचारी और इलाके के लोग सौरभ की मौत से गहरे दुख में हैं। उन्होंने उसे एक बहादुर और जिम्मेदार पुलिसकर्मी के रूप में याद किया।
क्या ये हादसा टल सकता था? क्या सड़क सुरक्षा को और मजबूत बनाने की ज़रूरत है? इस हादसे ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
सौरभ भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उसके आखिरी शब्द और कर्तव्यनिष्ठा हमेशा लोगों के दिलों में ज़िंदा रहेगी।
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