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धर्म डेस्क। भादौं का महींना कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण माना गया है। इसे भाद्रपद भी कहा जाता है। भाद्रपद की अमावस्‍या आने वाली है। इस साल भाद्रपद अमावस्‍या दो दिन की है और एक दुर्लभ योग बना रही है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भाद्रपद अमावस्या तिथि 2 सितंबर सोमवार और 3 सितंबर मंगलवार को पद रही है। ऐसे में इस बार सोमवती और भौमवती अमावस्या का ही लाभ मिलेगा। भाद्रपद की अमावस्‍या के दिन पितरों का पूजन करने से पितृ दोष खत्म हो जाता है।  

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार के अनुसार इस बार भाद्रपद की अमावस्या तिथि 2 सितंबर को सुबह 5:21 बजे से प्रारंभ होकर 3 सितंबर को सुबह 7:24 बजे तक है। चूंकि 2 सितंबर को सूर्योदय सुबह 06:00 बजे हो रहा है, ऐसे में उदयातिथि के आधार पर भाद्रपद अमावस्या 2 सितंबर सोमवार को है, जिसे सोमवती अमावस्या कहा जाएगा।

इसी तरह 3 सितंबर मंगलवार को सूर्योदय सुबह 06:00 बजे हो रहा है और उस दिन अमावस्या तिथि सूर्योदय के बाद 7:24 बजे तक रहेगी। इसलिए भाद्रपद अमावस्या की उदयातिथि मंगलवार को भी प्राप्त हो रही है, जिसे भौमवती अमावस्या कहा जाएगा। इस तरह इस बार सोमवती और भौमवती अमावस्या का ही लाभ मिलेगा।  

हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद अमावस्‍या के दोनों दिन शुभ योग बन रहे हैं। दोनों दिन दान-पुण्‍य करने से जीवन में समृद्धि आएगी। जानकारोंके अनुसार भाद्रपद अमावस्‍या के पहले दिन सोमवती अमावस्‍या पर शिव योग और सिद्ध योग बन रहा है। शिव योग सुबह से शाम 06:20 बजे तक और सिद्ध योग शाम 06:20 बजे से पूरी रात तक रहेगा।  

इसी तरह भाद्रपद अमावस्‍या के दूसरे दिन 3 सितंबर को भौमवती अमावस्‍या के दिन भी 2 शुभ योग बन रहे हैं। सिद्ध योग सुबह से लेकर शाम 07:05 बजे तक और साध्‍य योग शाम 07:05 बजे से 4 सितंबर को रात 08:03 बजे तक रहेगा। यह दुर्लभ संयोग है। ऐसे में दोनों दिन पूजा-पाठ और पितृ तर्पण करने से जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होगा।  

भाद्रपद अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए तर्पण करना शुभ माना जाता है। इस दिन किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान कर शिव योग में तर्पण करने और पितरों को सफेद फूल, कुश व काले तिल अर्पित करना शुभ होगा। पितृ प्रसन्न होकर अपने संतानों पर कृपा बरसायेंगे। 

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