शादी-ब्याह का माहौल हो और घर में खुशियों की रौनक न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। इन खुशियों की शुरुआत होती है शादी का कार्ड बांटने से, जो हमारे प्रियजनों तक हमारी खुशी पहुंचाने का एक जरिया है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शादी का सबसे पहला कार्ड किसे देना चाहिए? अक्सर लोग जल्दबाजी या अनजाने में इस परंपरा को नजरअंदाज कर देते हैं, जिसका असर वैवाहिक जीवन पर भी पड़ सकता है.
इस दुविधा को दूर करने के लिए, उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य और पुरोहित पं. चंदन श्यामनारायण व्यास जी ने बताया है कि शादी का पहला निमंत्रण किसे और क्यों देना चाहिए।
प्रथम निमंत्रण के सबसे पहले हकदार हैं 'श्री गणेश'
सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से ही होती है। उन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है, यानी सभी संकटों और बाधाओं को दूर करने वाले देवता। पं. व्यास के अनुसार, शादी जैसे मांगलिक कार्य को बिना किसी बाधा के संपन्न कराने के लिए यह बहुत जरूरी है कि पहला निमंत्रण पत्र भगवान गणेश को ही समर्पित किया जाए।
यह भगवान के प्रति हमारी श्रद्धा और सम्मान को दर्शाता है, जिससे हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इससे नव-दंपत्ति का आने वाला जीवन खुशहाल और समृद्ध बनता है।
दूसरा निमंत्रण अपने कुलदेवता या कुलदेवी को दें
भगवान गणेश को निमंत्रण देने के बाद, दूसरा कार्ड अपने कुलदेवता या कुलदेवी को अर्पित करना चाहिए। कुलदेवता हमारे परिवार के रक्षक माने जाते हैं और पीढ़ियों से हमारे परिवार की रक्षा करते आ रहे हैं। उनका आशीर्वाद लेना किसी भी नए और शुभ काम की शुरुआत के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है।
इसके बाद भेजें बाकी रिश्तेदारों को कार्ड
इन दोनों महत्वपूर्ण निमंत्रणों के बाद ही आपको अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और अन्य मेहमानों को कार्ड बांटने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। इस सरल लेकिन महत्वपूर्ण परंपरा का पालन करके आप न केवल अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहते हैं, बल्कि अपने नए जीवन की शुरुआत भी दैवीय आशीर्वाद के साथ करते हैं।


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