img

Up kiran,Digital Desk : सफलता एकादशी, जैसा कि नाम से ही पता चलता है, आपके हर काम को सफल बनाने वाली एकादशी है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, ये एकादशी पौष महीने के कृष्ण पक्ष में आती है। माना जाता है कि इस दिन पूरी श्रद्धा से भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने वालों को जीवन के हर मोड़ पर सफलता मिलती है।

कहते हैं कि इस दिन अगर तुलसी के पौधे के पास घी का दीया जलाया जाए तो घर में सुख-समृद्धि आती है और भाग्य का पूरा साथ मिलता है। इस साल सफला एकादशी की तारीख को लेकर लोगों में थोड़ा भ्रम है। तो चलिए, आज हम आपको सफला एकादशी की सही तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा का सरल तरीका, और इस दिन बोले जाने वाले ख़ास मंत्रों के बारे में बताते हैं।

कब है सफला एकादशी 2025? (Saphala Ekadashi 2025 Date)

इस बार पौष महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 14 दिसंबर, रविवार की शाम 6 बजकर 50 मिनट से शुरू हो रही है और यह 15 दिसंबर, सोमवार की रात 9 बजकर 21 मिनट तक रहेगी।

सफला एकादशी 2025 व्रत खोलने का समय (Saphala Ekadashi 2025 Paran Time)

जो लोग सफला एकादशी का व्रत रखेंगे, वे 16 दिसंबर, मंगलवार को सुबह 07:07 बजे से सुबह 09:11 बजे के बीच अपना व्रत खोल सकते हैं, जिसे पारण करना कहते हैं।

सफला एकादशी की सरल पूजा विधि (Saphala Ekadashi 2025 Puja Vidhi)

  • एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर, नहा-धोकर साफ कपड़े पहन लें।
  • इसके बाद मन में भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत करने का संकल्प लें।
  • सबसे पहले भगवान विष्णु को जल और पंचामृत से स्नान कराएं।
  • इसके बाद उन्हें फूल, माला, पीला चंदन और अक्षत (चावल) चढ़ाएं।
  • फल और मिठाई का भोग लगाएं।
  • अब घी का दीपक और धूप जलाकर विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें और सफला एकादशी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
  • पूजा के आखिर में भगवान विष्णु की आरती करें और पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए माफी मांगें।
  • पूरा दिन व्रत रखें और अगले दिन सुबह फिर से पूजा करके अपना व्रत खोलें।

सफला एकादशी के प्रभावशाली मंत्र (Saphala Ekadashi 2025 Mantra)

  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
  • श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
  • ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

श्री विष्णु जी की आरती (Shri Vishnu Ji Ki Aarti)

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥