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Up Kiran, Digital Desk: क्या आपने कभी सोचा है कि धरती से हजारों किलोमीटर ऊपर, जहां गुरुत्वाकर्षण का नामोनिशान नहीं होता, वहां इंसान का शरीर कैसे प्रतिक्रिया करता है? अंतरिक्ष में रहना सुनने में जितना रोमांचक लगता है, असल में उतना ही चुनौतीपूर्ण भी होता है। खासकर जब बात शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों की हो। अंतरिक्ष यात्रियों का वजन कम होना कोई मामूली बात नहीं इसके पीछे छिपे हैं कई वैज्ञानिक कारण।

शून्य गुरुत्व में शरीर कैसे बदलता है

जब कोई एस्ट्रोनॉट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन या किसी अन्य स्पेस मिशन पर महीनों बिताता है, तो उसका शरीर एक नई तरह की परिस्थिति से जूझता है जहां ग्रैविटी नहीं होती। इस स्थिति को "माइक्रोग्रैविटी" कहते हैं, और इसी के कारण शरीर के कई सामान्य फिजिकल फंक्शन बदल जाते हैं।

खुशबू नहीं, स्वाद नहीं – भूख भी नहीं!

क्या आप जानते हैं कि स्पेस में खाना खाने का अनुभव बिल्कुल अलग होता है? वहां नाक तक खाने की खुशबू पहुंच ही नहीं पाती क्योंकि गुरुत्व नहीं होने के कारण एयरफ्लो सामान्य नहीं रहता। नतीजा? भोजन की खुशबू और स्वाद का अनुभव फीका हो जाता है। यही वजह है कि अंतरिक्ष यात्री अक्सर भूख नहीं लगने की शिकायत करते हैं और स्वाभाविक तौर पर खाना कम खाते हैं, जिससे वजन में गिरावट होती है।

स्पेस मोशन सिकनेस भी है बड़ा कारण

अंतरिक्ष में पहुंचते ही कई एस्ट्रोनॉट्स को "स्पेस मोशन सिकनेस" यानी चक्कर आना, उल्टी जैसा महसूस होना जैसी समस्याएं होती हैं। यह भी उनकी भूख को बुरी तरह प्रभावित करता है। शुरुआती कुछ दिनों में यह स्थिति और भी गंभीर होती है।

हड्डियों और मांसपेशियों पर सीधा असर

गुरुत्वाकर्षण की गैरमौजूदगी का एक और बड़ा प्रभाव होता है हड्डियों और मांसपेशियों का कमजोर होना। धरती पर हमारा शरीर लगातार ग्रैविटी के खिलाफ काम करता है, लेकिन स्पेस में ऐसा कोई दबाव नहीं होता। इससे मांसपेशियों की ताकत घटने लगती है और हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है।

इस प्रभाव को संतुलित करने के लिए एस्ट्रोनॉट्स को हर दिन कम से कम दो घंटे एक्सरसाइज़ करनी पड़ती है। वज़न उठाना, ट्रेडमिल पर दौड़ना और साइकलिंग जैसे अभ्यास उनके डेली रूटीन का हिस्सा बन जाते हैं।

आंखों, दिल और इम्यून सिस्टम पर भी असर

माइक्रोग्रैविटी सिर्फ हड्डियों और वजन को ही नहीं बल्कि आंखों की रोशनी, दिल की कार्यप्रणाली और इम्यून सिस्टम को भी प्रभावित करती है। कुछ अंतरिक्ष यात्रियों ने मिशन के बाद दृष्टि संबंधी समस्याएं भी दर्ज कराईं हैं।

खास डाइट बनती है जीवनरेखा

इन सभी फिजिकल चैलेंजेज़ के बावजूद अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत बनाए रखने के लिए उन्हें संतुलित और वैज्ञानिक रूप से तैयार की गई डाइट दी जाती है। यह भोजन प्रोटीन, विटामिन, मिनरल और कैल्शियम से भरपूर होता है ताकि मांसपेशियों की टूटफूट और हड्डियों की कमजोरी को रोका जा सके।

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