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Up Kiran, Digital Desk: सात मई की रात को जब भारत और पाकिस्तान के बीच भारी गोलाबारी चल रही थी और दोनों देशों के लोगों में अनिश्चितता का माहौल था तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि अगले ही दिन एक युद्धविराम की घोषणा हो जाएगी और वो भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से। मगर ऐसा हुआ। और इतना ही नहीं ट्रंप ने सिर्फ युद्धविराम की घोषणा नहीं की बल्कि कश्मीर मुद्दे का हल निकालने के लिए दोनों देशों के साथ मिलकर काम करने की पेशकश भी कर दी।

ट्रंप का ट्रुथ सोशल संदेश: शांति या शोबाजी

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा "मुझे भारत और पाकिस्तान के मजबूत और अडिग शक्तिशाली नेतृत्व पर बहुत गर्व है... लाखों अच्छे और निर्दोष लोग मारे जा सकते थे!" इस बयान में ट्रंप ने न सिर्फ दोनों देशों के नेताओं की तारीफ की बल्कि खुद अमेरिका की "मदद" को भी ऐतिहासिक करार दे दिया। मगर बड़ा सवाल ये है कि क्या ट्रंप की मध्यस्थता में हुआ यह युद्धविराम टिक पाएगा।

भारत का रुख: शांत मगर सतर्क

भारत सरकार ने इस पूरे घटनाक्रम पर अब तक संयम बरता है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जरूर बयान दिए मगर अमेरिका की भूमिका को लेकर चुप्पी साध रखी है। यही नहीं प्रधानमंत्री मोदी की ओर से अब तक कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह भारत की पुरानी नीति के अनुरूप है — "कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं हो सकती।"

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: ट्रंप का धन्यवाद मगर कब तक

दूसरी ओर पाकिस्तान की ओर से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने अमेरिकी नेतृत्व की जमकर तारीफ की और इसे "क्षेत्रीय शांति की नई शुरुआत" बताया। मगर इसके कुछ ही घंटों बाद जम्मू-कश्मीर में संघर्ष विराम के उल्लंघन की खबरें आईं जिससे पाकिस्तान की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं।

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