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Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक के पावन धाम धर्मस्थल से एक अत्यंत महत्वपूर्ण समाचार आया है। यहाँ विशेष शिक्षा परियोजना के तहत तैयार की गई दो नई पुस्तकें, 'ज्ञानपथ' और 'ज्ञानरथ', का विमोचन किया गया। इन पुस्तकों का उद्देश्य स्कूलों में बच्चों को नैतिक शिक्षा प्रदान करना और उनके चरित्र निर्माण में सहायक बनना है। यह आयोजन शांतिवन ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया गया था, और इसे समकालीन समाज के लिए नैतिक शिक्षा की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।

पुस्तकें जीवन के मार्गदर्शक: क्या बोले मुख्य अतिथि?

प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक और गीतकार वी. नागेंद्र प्रसाद ने मुख्य अतिथि के तौर पर इन पुस्तकों का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि ये पुस्तकें "सार्थक जीवन के लिए मार्गदर्शक प्रकाश" का काम करती हैं। उन्होंने इन पुस्तकों को जीवन भर साथ निभाने वाले साथी बताया, जो मानव मूल्यों को प्रेरित और मजबूत करते हैं। धर्मस्थल से अपने जुड़ाव को याद करते हुए, प्रसाद ने फिल्म 'श्री मंजीनाथ' के निर्माण के दौरान धर्मस्थल के धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े द्वारा दी गई सलाह का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि हेगड़े जी ने उन्हें भगवान मंजीनाथ के व्यापारीकरण से बचने की सलाह दी थी। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि फिल्म निर्माण में बाधाओं और वित्तीय नुकसान के बावजूद, यह एक भक्तिपूर्ण कार्य था जिसमें जैन दर्शन और कन्नड़ साहित्य का गहरा अध्ययन शामिल था।

घर से शुरू होता है चरित्र निर्माण: वरिष्ठ अभिनेता का विचार

इस अवसर पर वरिष्ठ अभिनेता एच.डी. दत्तात्रेय (दत्तान्ना) ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि "जीवन की लंबाई से नहीं, बल्कि उसके अर्थ से मापा जाता है।" उन्होंने कहा कि अच्छे लोगों की संगति और अच्छी पुस्तकें चरित्र को आकार देती हैं, और मूल्यों का संवर्धन घर से ही शुरू होता है।

राष्ट्र के भविष्य के लिए नैतिक शिक्षा का महत्व: धर्माधिकारी का संबोधन

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए, धर्मस्थल के धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े ने इस बात पर बल दिया कि आज के छात्र ही देश के भविष्य के नागरिक हैं। उन्होंने कहा, "स्कूलों में योग और नैतिक शिक्षा शुरू करके, हम उन्हें उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने के लिए सुसज्जित करना चाहते हैं।" उन्होंने आगे कहा कि यदि वे अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखना और बुरी आदतों से दूर रहना सीखते हैं, तो वे समाज के लिए मूल्यवान संपत्ति बनेंगे।

धर्मांचल में 'नैतिक शिक्षा' का बढ़ता महत्व

यह पुस्तक विमोचन धर्मस्थल की ओर से नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को बढ़ावा देने के प्रयासों का एक हिस्सा है। हाल के वर्षों में, धर्मस्थल को कुछ विवादों का सामना करना पड़ा है, लेकिन ऐसे कार्यक्रम समाज में सकारात्मकता और सही दिशा का संचार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 'ज्ञानपथ' और 'ज्ञानरथ' जैसी पुस्तकें युवा पीढ़ी को सही मार्ग दिखाने और उन्हें चरित्रवान नागरिक बनाने में सहायक होंगी।

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