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Up Kiran, Digital Desk: हरियाणा के फरीदाबाद जिले में स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय अब राष्ट्रीय जांच एजेंसियों के रडार पर है। जांचकर्ताओं के अनुसार, लाल किला विस्फोट में इस्तेमाल हुर्इ हुंडई i20 कार लगभग 11 दिनों तक विश्वविद्यालय परिसर में खड़ी रही।

सूत्रों का कहना है कि आरोपी डॉ. उमर नबी ने 10 नवंबर को घबराहट में कार लेकर दिल्ली पहुँचा। कार 29 अक्टूबर को खरीदी गई थी और उसी दिन प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र के लिए बाहर निकाली गई थी।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में पकड़े गए तीन डॉक्टर “सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल” के सदस्य हैं और पाकिस्तान समर्थित संगठनों के इशारे पर काम कर रहे थे। जांचकर्ताओं की नजर अब यह जानने पर है कि विश्वविद्यालय कैसे ऐसे लोगों के लिए सुरक्षित जगह बन गया।

अल-फलाह विश्वविद्यालय का परिचय

अल-फलाह विश्वविद्यालय की स्थापना हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत हुई थी। इसकी शुरुआत 1997 में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई। 2013 में इसे NAAC की ‘A’ श्रेणी की मान्यता मिली। 2014 में हरियाणा सरकार ने इसे विश्वविद्यालय का दर्जा दिया।

विश्वविद्यालय का मेडिकल कॉलेज भी इसे संबद्ध है। दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से केवल 30 किलोमीटर दूर स्थित यह संस्थान अल्पसंख्यक छात्रों के लिए एक प्रमुख विकल्प माना जाता है। इसका प्रबंधन अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट करता है।

पुलिस का निरीक्षण

पुलिस ने मंगलवार को विश्वविद्यालय में पूरी तरह से निरीक्षण किया और कई लोगों से पूछताछ की। यह कार्रवाई लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए उच्च-तीव्रता वाले विस्फोट के बाद की गई थी, जिसमें 12 लोग मारे गए और कई घायल हुए।

डॉ. उमर नबी, जो कार चलाने के संदेह में हैं, विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर थे। इस विस्फोट के बाद विश्वविद्यालय से जुड़े तीन डॉक्टरों सहित आठ लोग गिरफ्तार हुए और 2,900 किलोग्राम विस्फोटक जब्त किया गया। जांच में यह पता चला कि यह “सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल” कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था।