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Up Kiran, Digital Desk: छतरपुर और महोबा जिलों के ग्रामीण क्षेत्र में खेती और पारंपरिक फलों की बिक्री युवाओं के लिए एक आकर्षक और लाभदायक रोजगार बनता जा रहा है। ऐसे में महोबा के छोटे से गांव बेलाताल (जैतपुर) से आए राहुल रैकवार की कहानी काफी प्रेरणादायक है जो अपनी मेहनत और लगन से हर महीने अच्छी कमाई कर रहे हैं।
राहुल छतरपुर शहर के तालाबों में उगने वाले अनोखे फलों को बेचकर माहाना लगभग 40 से 50 हजार रुपये की आमदनी करते हैं। ये फल खासकर कमलगट्टा और कमल ककड़ी हैं जो स्थानीय बाजार में बड़ी मांग रखते हैं। इनके अलावा राहुल कमलगट्टे के बीजों और छिलकों को भी सुखाकर बेचते हैं जो हवन सामग्री के रूप में उपयोग होते हैं।
महोबा जिले के बेलाताल गांव के रहने वाले राहुल बताते हैं कि ये फल मुख्य रूप से बरसात के मौसम में तालाबों में कमल के फूलों से उगते हैं। छतरपुर में इसे 'छतिया' के नाम से जाना जाता है मगर स्थानीय लोग इसे कमलगट्टा या कच्चा मखाना भी कहते हैं। जून के अंत में ये फल बाजार में आना शुरू हो जाते हैं और केवल कुछ ही दिनों तक उपलब्ध रहते हैं।
राहुल कहते हैं कि वे रोजाना अपने गांव से छतरपुर शहर आते हैं और तालाबों से कमलगट्टे तोड़कर शहर में करीब 70 से 80 रुपए प्रति किलो की दर से बेच देते हैं। दिनभर की मेहनत से वे लगभग तीन हजार रुपये की आय कर लेते हैं। ये फल केवल आमतौर पर खाने के लिए ही नहीं बल्कि इसके छिलके और बीज भी बाजार में बिकते हैं जो धार्मिक अनुष्ठानों में काम आते हैं।
सर्दियों के मौसम में राहुल सिंघाड़ा बेचकर भी अपनी आमदनी बढ़ाते हैं। यदि कभी कमलगट्टे बच जाएं तो वे उसके बीजों को पीसकर सब्जी या खीर भी बनाते हैं जो उनके घर में एक स्वादिष्ट व्यंजन बन जाता है। हालांकि शहर के लोग इस तरह के उपयोग से अनजान होते हैं।
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