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Up Kiran, Digital Desk: जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आते जा रहे हैं, सियासत का पारा चढ़ता जा रहा है। इसी बीच कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग (ECI) को लेकर बड़ा मुद्दा उठा दिया है।

हालिया बयान और सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कथित धांधली का हवाला देते हुए चुनाव आयोग की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे एक बार फिर यह बहस तेज़ हो गई है कि क्या राहुल गांधी सच में लोकतंत्र की चिंता कर रहे हैं या बिहार चुनाव से पहले परसेप्शन सेट करने की चाल चल रहे हैं।

महाराष्ट्र का मुद्दा बिहार में क्यों गूंजा

राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट और अख़बारों में छपे लेखों के ज़रिए आरोप लगाया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदाता सूची और मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता की भारी कमी रही।

उन्होंने चुनाव आयोग से सीधा सवाल किया कि महाराष्ट्र के मतदान केंद्रों की शाम 5 बजे के बाद की सभी CCTV फुटेज सार्वजनिक करें और मतदाता सूची को डिजिटल फॉर्म में जारी करें।

उनका कहना है कि यह पारदर्शिता सुनिश्चित करना लोकतंत्र की मजबूती के लिए ज़रूरी है। लेकिन चुनाव आयोग ने इन आरोपों को ‘निराधार’ करार देते हुए पहले ही 24 दिसंबर 2024 को अपना जवाब सार्वजनिक कर दिया था।

यह जुबानी जंग यहीं नहीं थमी। राहुल गांधी ने फिर एक्स (पूर्व ट्विटर) पर चुनाव आयोग को ललकारा और सीधे पूछा कि अगर आपके पास छुपाने को कुछ नहीं है, तो सवालों के साफ जवाब दें।

बीजेपी का पलटवार: ‘हार का डर’ या ‘सुनियोजित बहाना’

राहुल गांधी के इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच बीजेपी ने भी मोर्चा खोल दिया। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने राहुल पर हमला बोलते हुए कहा कि यह सब "हार के डर से पैदा हुई निराशा" है।

भाजपा का मानना है कि राहुल गांधी चुनाव से पहले ही पराजय का बहाना तैयार कर रहे हैं, ताकि हार की स्थिति में वह कह सकें — "चुनाव फिक्स था।"

क्या यह ‘मैच फिक्सिंग’ की पिच पर रणनीति है

राहुल गांधी ने राजगीर (बिहार) में एक रैली के दौरान बिहार को 'क्रिमिनल कैपिटल' कहा और सीधे नीतीश कुमार व बीजेपी को निशाने पर लिया। इसके अगले ही दिन उन्होंने महाराष्ट्र चुनाव में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया और कहा कि महाराष्ट्र के बाद अब बिहार में मैच फिक्सिंग होगी।

क्या यह कोई इत्तेफाक है

या फिर यह एक सोची-समझी रणनीति है जिससे वे जनता को चुनाव आयोग के खिलाफ खड़ा कर सकें

विश्लेषण: राहुल की रणनीति या हताशा

वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क मानते हैं कि राहुल गांधी दो नावों में सवार होने की कोशिश कर रहे हैं।

उनका मत है कि कांग्रेस अकेले सरकार नहीं बना सकती, महागठबंधन ज़रूरी है, लेकिन अभी तक यह तय नहीं कि कांग्रेस तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री चेहरा मानेगी या नहीं।

उनका यह भी मानना है कि कांग्रेस दो धड़ों में बंटी है। एक गुट चाहता है कि कांग्रेस अकेले चुनाव लड़े और दूसरा मानता है कि बिना महागठबंधन के जीत संभव नहीं। 

इस असमंजस की स्थिति में राहुल गांधी EVM और धांधली जैसे मुद्दों को उठाकर जनता की सहानुभूति बटोरना चाहते हैं।

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