
Up Kiran, Digital Desk: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए दर्दनाक आतंकी हमले के बाद सिर्फ भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव ही नहीं बढ़ा है, बल्कि इसका सीधा असर पर्यटन और धार्मिक यात्राओं पर भी देखने को मिल रहा है। खासकर, जम्मू स्थित विश्व प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
वैष्णो देवी में सन्नाटा, व्यापारी निराश
आमतौर पर जहाँ माता वैष्णो देवी के दरबार में रोजाना लगभग 45 हजार श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते थे, वहीं पहलगाम हमले के बाद यह संख्या घटकर महज 15 हजार के आसपास रह गई है। श्रद्धालुओं की संख्या में इस भारी कमी से स्थानीय व्यापारियों में भी काफी निराशा है, जिनकी रोजी-रोटी काफी हद तक यात्रा पर ही निर्भर करती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हालात ऐसे हो गए हैं कि ज्यादातर लोगों ने अपनी ऑनलाइन बुकिंग कैंसिल करवा ली है। नतीजा यह है कि भवन से लेकर कटड़ा तक, श्राइन बोर्ड के इलाके खाली-खाली से नजर आ रहे हैं। कटड़ा के अधिकांश होटल, गेस्ट हाउस और धर्मशालाएं भी सूनी पड़ी हैं। यह सब भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव और सुरक्षा चिंताओं का नतीजा माना जा रहा है।
दूसरी ओर, चारधाम यात्रा में भक्तों का सैलाब!
इसके ठीक विपरीत, उत्तराखंड में जैसे ही चारधाम यात्रा की शुरुआत हुई, श्रद्धालुओं का जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। 30 अप्रैल 2025 से शुरू हुई इस यात्रा में अब तक लगभग 1 लाख 89 हजार से भी ज्यादा लोग बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के दर्शन कर चुके हैं।
हरिद्वार से लेकर ऋषिकेश और फिर आगे चारों धामों तक के रास्ते आस्था के सैलाब से भरे हुए हैं। लोग अपने परिवारों, दोस्तों के साथ या अकेले ही भगवान के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में चारधाम की यात्रा पर निकल रहे हैं।
दो राज्यों में आस्था के दो अलग-अलग नजारे
एक तरफ जहाँ चारधाम यात्रा ने उत्तराखंड को एक बार फिर भक्ति और आस्था के रंग में रंग दिया है, वहीं दूसरी ओर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के साये में वैष्णो देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी कमी चिंता का विषय बनी हुई है। उम्मीद है कि जल्द ही हालात सामान्य होंगे और माता के दरबार में फिर से भक्तों की वही रौनक लौटेगी।
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