
विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पांच जून को पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकृति को समर्पित सबसे बड़ा उत्सव है। इस दिवस के मनाने के पीछे पर्यावरण के संरक्षण, संवर्धन और विकास का संकल्प है। 1972 में मानव पर्यावरण विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासभा का आयोजन किया गया था। इस दौरान विश्व पर्यावरण दिवस का सुझाव भी दिया गया और इसके दो साल बाद, 5 जून 1974 से इसे मनाना भी शुरू कर दिया गया। इसमें 119 देशों ने भाग लिया और पहली बार एक ही पृथ्वी का सिद्धांत मान्य किया। 1987 में इसके केंद्र को बदलते रहने का सुझाव सामने आया और इसके आयोजन के लिए अलग अलग देशों को चुना जाता है।
इस सम्मेलन में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने ‘पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति एवं उसका विश्व के भविष्य पर प्रभाव’ विषय पर व्याख्यान दिया था। पर्यावरण-सुरक्षा की दिशा में यह भारत का प्रारंभिक कदम था। तभी से हम प्रति वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाते आ रहे हैं। पर्यावरण की ज्वलंत समस्याओं को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र हर साल इसके लक्ष्यों को बदलता है। लक्ष्यों के आधार पर ही विश्व पर्यावरण दिवस के साथ ही पूरे साल के लिए थीम तैयार की जाती है। पर्यावरण दिवस २०२० की थीम ‘जलवायु कार्रवाई’ रखी गई है।
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इस समय पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण की स्थिति विकराल रूप ले चुकी है। दुनिया का पर्यावरण खतरे में है। ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते स्तर के साथ ही भौगोलिक और पर्यावरणीय असंतुलन पैदा हो गया है। इन हालात पर काबू नहीं पाया गया तो नतीजे बहुत गंभीर होंगे। प्रकृति ने हमारे लिए एक बेहद खुशनुमा वातावरण तैयार किया है, जिसे स्वच्छ, सुंदर और स्वस्थ बनाए रखना हम सबकी नैतिक ज़िम्मेदारी है। इसके लिए सिर्फ किसी एक खास दिन कुछ करने से बेहतर है कि हम पूरे साल ही इसे सुरक्षित करने के बारे में सोचें। पर्यावरण संरक्षण के उपाय जाने बगैर पर्यावरण का महत्व नहीं समझा जा सकता है।
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साल 2020 का पर्यावरण दिवस आप में ख़ास होगा, क्योंकि कोरोना महामारी के कारण पूरी दुनिया लॉकडाउन है। जानवर बाहर आ गए हैं। वो चिड़ियां दिखने लग गई हैं जिन्हें हमारे बचपन ने देखा था। प्रदूषण का स्तर कम है। मानों पृथ्वी ने अपना जिम्मा खुद अपने हाथों में ले लिया हो। हमे यह समझने की जरूरत है की यदि हम अब भी नहीं चेते तो एक दिन प्रकृति ही हमे सबक सिखाएगी।
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