Up Kiran, Digital Desk: दोस्तों, आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहतमंद रहना ही सबसे बड़ी चुनौती है. खासकर जब बात साँस से जुड़ी बीमारियों की हो, तो हालात और भी गंभीर हो जाते हैं. हमारे देश में एक ऐसी ही गंभीर बीमारी है 'क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज' (Chronic Obstructive Pulmonary Disease) या संक्षेप में COPD (सीओपीडी). यह फेफड़ों की एक ऐसी बीमारी है, जिसमें साँस लेना धीरे-धीरे मुश्किल हो जाता है, और इसका बोझ हमारे स्वास्थ्य तंत्र पर काफी बड़ा है.
अच्छी खबर यह है कि अब भारत सरकार इस बीमारी को गंभीरता से ले रही है. आज 18 नवंबर 2025 को एक बयान सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि भारत COPD (सीओपीडी) का बोझ कम करने के लिए प्रतिबद्ध है. यानी सरकार इस समस्या से लड़ने के लिए कमर कस चुकी है.
क्या है यह COPD (सीओपीडी) और क्यों है इतनी ख़तरनाक?
सीओपीडी फेफड़ों की ऐसी स्थिति है, जिसमें फेफड़ों को हवा ले जाने वाली नलियाँ सिकुड़ जाती हैं, जिससे साँस लेने में दिक्कत होती है. यह बीमारी अक्सर लंबे समय तक धूल, धुआँ या प्रदूषण में रहने, या फिर सिगरेट पीने वाले लोगों को होती है. यह धीरे-धीरे बढ़ती है और समय पर इलाज न मिलने पर जानलेवा भी हो सकती है. इसके मुख्य लक्षण साँस लेने में कठिनाई, खाँसी, बलगम और छाती में जकड़न हैं.
भारत क्यों है इतना प्रतिबद्ध?
भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में COPD एक बड़ी चुनौती है. प्रदूषण (Air Pollution), धूम्रपान (Smoking) और व्यावसायिक जोखिमों (Occupational Hazards) के कारण यहाँ बड़ी संख्या में लोग इससे प्रभावित होते हैं. यह सिर्फ मरीज़ को ही नहीं, बल्कि उसके परिवार और समाज पर भी बड़ा आर्थिक और भावनात्मक बोझ डालता है.
ऐसे में सरकार का यह बयान बहुत महत्वपूर्ण है कि वह COPD का बोझ कम करने (Reduce Burden of COPD) के लिए दृढ़ संकल्पित है. इसका मतलब यह है कि आने वाले समय में हमें स्वास्थ्य क्षेत्र में कुछ बड़े बदलाव और योजनाएँ देखने को मिल सकती हैं, जिनमें शामिल हो सकते हैं:
- जागरूकता बढ़ाना: लोगों को COPD के कारणों, लक्षणों और रोकथाम के बारे में जागरूक करना.
- रोकथाम पर जोर: धूम्रपान कम करने, प्रदूषण नियंत्रण और व्यावसायिक सुरक्षा मानकों में सुधार करना.
- शीघ्र निदान और उपचार: स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना ताकि इस बीमारी का जल्द पता चले और समय पर इलाज शुरू हो सके.
- रिसर्च और विकास: COPD के लिए बेहतर इलाज और टीकों (Vaccinations) पर शोध को बढ़ावा देना.
यह घोषणा निश्चित तौर पर एक उम्मीद जगाती है कि भारत अपने नागरिकों के फेफड़ों को स्वस्थ रखने और उन्हें एक बेहतर जीवन देने के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है. उम्मीद है कि जल्द ही इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे और हमारे देश में साँसों से जुड़ी बीमारियों का बोझ कम होगा.

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