Up Kiran, Digital Desk: राजस्थान का सिरोही जिला इन दिनों एक ऐसे मामले की वजह से सुर्खियों में है जो सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। एक तरफ जहां लाखों युवा दिन रात UPSC की तैयारी में जुटे रहते हैं तो दूसरी तरफ एक ऐसा लड़का भी था जो इसी परीक्षा में दो बार असफल होने के बाद किताबें बंद करके ड्रग्स बनाने की लैब खोल बैठा। नाम है वालाराम। मूल रूप से जालोर का रहने वाला यह शख्स अब करोड़ों रुपए के मेफेड्रोन सिंडिकेट का सरगना बन चुका है।
बीते दिनों सिरोही पुलिस और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की संयुक्त टीम ने रेवदर थाना क्षेत्र के दांतराई गांव में छापा मारा। पता चला कि गांव के बाहर एक पुराना कुआं कई महीनों से किराए पर लिया गया था। बाहर से देखने में सब कुछ सामान्य लगता था लेकिन जब टीम ने ताला तोड़ा और अंदर झांका तो सब हैरान रह गए।
कुएं के अंदर किसी हाईटेक अंडरग्राउंड लेबोरेटरी जैसा मंजर था। केमिकल की तीखी गंध। हर तरफ बड़ी बड़ी जेरीकेन। आठ विशाल ड्रम। सैकड़ों कांच की बोतलें और कैटलियां। तैयार पाउडर के कट्टे। मिक्सिंग मशीनें। पूरा सेटअप ऐसा कि लगे मानो कोई प्रोफेशनल केमिस्ट सालों से यहां काम कर रहा हो।
पुलिस को मौके से करीब 35 जेरीकेन खतरनाक केमिकल बरामद हुए। ड्रग बनाने का सफेद पाउडर। लैब का पूरा सामान। अधिकारियों का अनुमान है कि यहां दस किलोग्राम से ज्यादा एमडी ड्रग तैयार होने वाली थी जिसकी बाजार कीमत करीब सौ करोड़ रुपए बैठती।
सबसे हैरान करने वाली बात यह कि इस पूरे ऑपरेशन का सूत्रधार कोई पुराना अपराधी नहीं बल्कि वही वालाराम था जिसने कभी UPSC प्री तो पास कर लिया था लेकिन मेन्स में दो बार असफल रहा। असफलता ने उसे इतना तोड़ दिया कि उसने किताबों की जगह केमिकल फॉर्मूले रटने शुरू कर दिए। डार्क वेब से जानकारी जुटाई। केमिस्ट ढूंढे। ट्रांसपोर्टर जोड़े। लोकल सप्लायर बनाए। डीलरों का नेटवर्क खड़ा किया। कुछ ही समय में वह एक संगठित ड्रग माफिया का मालिक बन बैठा।
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