img

Up Kiran, Digital Desk: स्मार्ट सिटी मिशन के तहत लगातार करोड़ों का बजट झेलने वाले लखनऊ नगर निगम की सफाई व्यवस्था एक बार फिर कटघरे में है। इस बार मामला सिर्फ गंदगी और कूड़े तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब सफाई के नाम पर ‘डमी ड्रामा’ और हवा में घूमते ऑटोमेटिक सफाई वाहनों की करतूत सामने आई है।

बारिश ने खुद ही कर दी सफाई, फिर भी सड़कों पर दिखे ‘सफाई वाहन’

बृहस्पतिवार की रात लखनऊ में हुई तेज बारिश ने शहर की कई सड़कों की धूल और कचरे को धो डाला। आमतौर पर बारिश के बाद सड़कों की सफाई की आवश्यकता कम हो जाती है, लेकिन आश्चर्य की बात ये रही कि रात के अंधेरे में नगर निगम की ऑटोमेटिक सफाई गाड़ियां सड़कों पर घूमती रहीं — वो भी तब, जब सड़कों पर धूल का नामोनिशान नहीं था।

हालात ऐसे थे कि जिन गाड़ियों में लगे सफाई ब्रश ज़मीन पर रगड़ कर सड़कें साफ करने चाहिए थे, वो खुलेआम हवा में घूमते नज़र आए। न कोई कचरा, न कोई धूल — फिर भी ईंधन जलता रहा, मशीनें चलती रहीं और कथित 'काम' चलता रहा।

जब ड्राइवर से पूछा गया…

मौके पर मौजूद एक पत्रकार द्वारा जब वाहन चालक से सवाल किया गया कि "साफ सड़कों पर क्या साफ कर रहे हैं?", तो उसका जवाब हड़बड़ाहट भरा था। पहले तो जवाब मिला — "नगर निगम से हो रहा है सर…", फिर सवाल गहराते ही चालक ने मोबाइल की ओर इशारा करते हुए कहा — "फोन पर बात कर लीजिए…"

यह जवाब न केवल असहज था, बल्कि पूरे ऑपरेशन की मंशा पर सवाल खड़ा करता है। क्या नगर निगम जानबूझकर ऐसी सफाई करवा रहा है जिससे सिर्फ कागजों पर काम दिखाया जा सके?

गलियों में गंदगी, सड़कों पर दिखावा

लखनऊ के कई वार्ड आज भी गंदगी से जूझ रहे हैं। मोहल्लों के नाले बजबजा रहे हैं, कचरा डंपिंग पॉइंट्स के आसपास संक्रमण फैलने की स्थिति है और डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियों के लिए ज़मीन तैयार हो रही है।

लेकिन इन सबके बीच शहर की मुख्य सड़कों पर दिखावे की यह ऑटोमेटिक सफाई 'सिर्फ काम की खानापूर्ति' नहीं, बल्कि एक योजनाबद्ध आर्थिक खेल की आशंका जगाती है। 

 

--Advertisement--