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Up Kiran, Digital Desk: जब दो बड़े हाथी लड़ते हैं, तो आसपास की ज़मीन हिल ही जाती है. कुछ ऐसा ही इस वक्त दुनिया भर के बाजारों में हो रहा है. अमेरिका ने चीन से आने वाले सामान पर नए टैक्स (टैरिफ) लगा दिए हैं, जिसके कारण दुनिया भर में टेंशन का माहौल है और इसका असर भारत पर भी दिख रहा है. इस खबर के आते ही भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट देखी गई और रुपया भी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ.

लेकिन क्या हमें घबराने की ज़रूरत है? आर्थिक मामलों के जानकारों की मानें, तो इसका जवाब है- 'नहीं'. उनका मानना है कि यह एक शॉर्ट-टर्म झटका है और भारत की अर्थव्यवस्था इतनी मज़बूत है कि वह न केवल इस मुश्किल से जल्द ही बाहर निकल आएगी, बल्कि लंबे समय में उसे इसका फायदा भी मिल सकता है.

तो भारत पर इसका असर क्यों पड़ रहा है?

आज के समय में दुनिया के सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं. जब अमेरिका और चीन जैसे दो सबसे बड़े आर्थिक पावरहाउस आपस में भिड़ते हैं, तो विदेशी निवेशक घबरा जाते हैं. वे सुरक्षित खेलने के लिए भारत जैसे उभरते बाजारों से अपना पैसा निकालना शुरू कर देते हैं, जिससे शेयर बाजार गिरने लगता है और रुपया कमज़ोर हो जाता है. बुधवार को BSE सेंसेक्स में आई गिरावट इसी घबराहट का नतीजा थी.

लेकिन भारत के लिए अच्छी खबर क्या है?

भले ही अभी बाज़ार में थोड़ी उथल-पुथल है, लेकिन भारत के लिए इस स्थिति में भी उम्मीद की कई किरणें हैं:

'चाइना प्लस वन' का मिलेगा फायदा: दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां હવે चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती हैं. वे चीन के अलावा किसी दूसरे देश में अपनी फैक्ट्री या ऑफिस खोलना चाहती हैं. इस 'चाइना प्लस वन' रणनीति में भारत उनकी पहली पसंद बनकर उभर रहा है. अमेरिकी टैरिफ इस प्रक्रिया को और तेज़ कर सकते हैं, जिससे भारत में नया निवेश आएगा और रोजगार बढ़ेगा.

मज़बूत घरेलू अर्थव्यवस्था: भारत की अपनी अर्थव्यवस्था काफी मज़बूत है. आने वाले त्योहारी सीजन (नवरात्रि, दिवाली) में लोग जमकर खरीदारी करेंगे, जिससे बाज़ार में पैसा आएगा और अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा.

सरकार और RBI हैं तैयार: भारत सरकार और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) इस स्थिति पर पूरी नज़र बनाए हुए हैं. ज़रूरत पड़ने पर RBI रुपये को संभालने के लिए ज़रूरी कदम उठा सकता है, जैसा वह पहले भी करता आया है.

विशेषज्ञों का मानना है कि बाज़ार में यह घबराहट कुछ दिनों की है. जैसे ही चीजें स्थिर होंगी, निवेशक फिर से भारत की ओर लौटेंगे, क्योंकि यहाँ विकास की संभावनाएं दुनिया में सबसे ज़्यादा हैं. इसलिए, आम निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे घबराकर कोई फैसला न लें और भारतीय अर्थव्यवस्था की मज़बूती पर भरोसा रखें.