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Up Kiran, Digital Desk: हिंदू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित सबसे पवित्र महीनों में से एक है। इस दौरान पड़ने वाले प्रत्येक सोमवार का विशेष महत्व होता है, और माना जाता है कि सच्चे मन से व्रत और पूजा करने पर महादेव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। सावन 2025 का पहला सोमवार [आज की तारीख - यहाँ वास्तविक तिथि डालें] को है, और इस दिन की पूजा-अर्चना के विशेष नियम और महत्व हैं जिन्हें जानना हर शिव भक्त के लिए आवश्यक है।

सावन मास भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का महीना भी माना जाता है। इस पूरे महीने शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, और शिवलिंग पर जल अभिषेक, रुद्राभिषेक और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। सावन के पहले सोमवार का व्रत विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह पूरे महीने के लिए एक सकारात्मक और आध्यात्मिक शुरुआत करता है।

सावन सोमवार के प्रमुख अनुष्ठान और नियम:

प्रातः स्नान और संकल्प: सावन सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त (सुबह जल्दी) में उठकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान शिव का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें।

शिवलिंग पूजा: घर या मंदिर में शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें। इसके बाद बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, शमी पत्र और फल-मिठाई अर्पित करें।

मंत्र जाप: 'ॐ नमः शिवाय' और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। शिव चालीसा या शिव तांडव स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं।

व्रत के नियम: व्रत के दौरान निराहार रहना उत्तम है। यदि संभव न हो तो फलाहार, दूध और सात्विक भोजन जैसे कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, सेंधा नमक का सेवन कर सकते हैं।

मांसाहार, प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन का सेवन बिल्कुल न करें।

दिन में सोना या अनावश्यक वार्तालाप से बचें।

शांत और पवित्र वातावरण बनाए रखें।

शुभ मुहूर्त: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में की गई पूजा विशेष फल देती है। इसके अलावा, प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) में भी शिव पूजा अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।

सावन के पहले सोमवार का व्रत और पूजा विधि-विधान से करने पर भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह दिन भक्तों को आध्यात्मिक शांति, सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल प्रदान करता है। सच्चे मन और श्रद्धा के साथ की गई पूजा निश्चित रूप से महादेव को प्रसन्न करती है।

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