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Up Kiran, Digital Desk: जब कोई व्यक्ति देश की सीमाओं से आगे जाकर विश्व मंच पर भारत की आवाज़ बनता है, तब उसकी जिम्मेदारियाँ केवल शब्दों तक सीमित नहीं रहतीं—वह हर निर्णय में राष्ट्र के स्वाभिमान का प्रतिनिधित्व करता है। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ऐसी ही एक प्रभावशाली शख्सियत हैं, जो अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के हर मोर्चे पर भारत का चेहरा बनकर खड़े होते हैं।

एक अनुभवी कूटनीतिज्ञ की यात्रा

डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर, जिन्हें देशभर में एस. जयशंकर के नाम से जाना जाता है, एक कुशल राजनयिक और मौजूदा विदेश मंत्री हैं। 1977 बैच के भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी रह चुके जयशंकर ने अमेरिका, चीन, रूस और सिंगापुर जैसे रणनीतिक रूप से अहम देशों में भारत के राजदूत के रूप में सेवा दी है। साल 2015 से 2018 तक भारत के विदेश सचिव के रूप में उनकी भूमिका निर्णायक रही, और 2019 में जब नरेंद्र मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आई, तो उन्हें कैबिनेट मंत्री के तौर पर विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई।

कितनी है विदेश मंत्री की सैलरी?

भारत सरकार के नियमों के अनुसार, एक कैबिनेट मंत्री की बेसिक मासिक सैलरी ₹1,24,000 होती है। यह राशि भले ही निजी क्षेत्र के कई टॉप अधिकारियों की तुलना में कम प्रतीत हो, लेकिन यह सार्वजनिक सेवा की एक अलग गरिमा को दर्शाती है। इसके अलावा उन्हें कई सरकारी सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं:

सरकारी आवास: दिल्ली में एक निर्धारित सरकारी बंगला

आधिकारिक वाहन और ड्राइवर

कार्यालय स्टाफ और निजी सुरक्षा कर्मी

हवाई यात्रा में विशेष सुविधा और प्राथमिकता

अन्य भत्ते और सुविधाएं

विदेश मंत्री को केवल सैलरी तक सीमित सुविधाएं नहीं मिलतीं। जब वे देश या विदेश की यात्रा पर होते हैं, तो उन्हें डेली अलाउंस, ट्रैवल अलाउंस और होटल खर्च जैसे भत्ते मिलते हैं। उनकी सुरक्षा के लिए ज़ेड या ज़ेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई जाती है, जो उनकी जिम्मेदारियों और खतरे के आकलन के अनुसार तय होती है।

क्या एक मंत्री की सैलरी जिम्मेदारी के बराबर है?

यह प्रश्न हमेशा बना रहेगा कि क्या इतनी बड़ी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी निभाने वाले मंत्री को मिलने वाली सैलरी और सुविधाएं उनकी भूमिका के अनुरूप हैं। एस. जयशंकर जैसे मंत्री न केवल भारत की नीतियों को विश्व पटल पर प्रस्तुत करते हैं, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की छवि को आकार भी देते हैं। उनके निर्णय, संवाद और रणनीति का सीधा प्रभाव भारत के भू-राजनीतिक संबंधों पर पड़ता है।

 

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