
Up Kiran, Digital Desk: शिक्षक-अभिभावक बैठकें (PTM) बच्चों की शिक्षा और उनके समग्र विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी होती हैं। ये बैठकें स्कूल और घर के बीच एक मजबूत पुल का काम करती हैं, लेकिन अक्सर इन बैठकों में केवल अंकों और अकादमिक प्रदर्शन पर ही ज़्यादा ध्यान दिया जाता है, जिससे बच्चे के सर्वांगीण विकास का पहलू कहीं पीछे छूट जाता है।
यह सोच हमें बदलनी होगी। एक प्रभावी PTM सिर्फ रिपोर्ट कार्ड पढ़ने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह बच्चे के समग्र विकास – उसके सामाजिक, भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक पहलुओं पर विस्तृत चर्चा का मंच बनना चाहिए। जब अभिभावक और शिक्षक मिलकर बच्चे के हर पहलू को समझने का प्रयास करेंगे, तभी उसकी छिपी प्रतिभाओं और चुनौतियों को बेहतर ढंग से पहचाना जा सकेगा।
इस संवाद में माता-पिता की भूमिका भी बेहद अहम है। उन्हें अपने बच्चे के घर के माहौल, उसकी रुचियों, आदतों और व्यवहार से जुड़ी जानकारी शिक्षकों के साथ खुलकर साझा करनी चाहिए। स्कूल में बच्चे का व्यवहार कैसा है, वह दोस्तों के साथ कैसे घुलता-मिलता है, या उसे सीखने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है – इन सभी पहलुओं पर शिक्षकों को माता-पिता को विस्तृत प्रतिक्रिया देनी चाहिए।
वहीं, शिक्षकों को भी बच्चे के स्कूल के प्रदर्शन तक ही सीमित न रहकर, कक्षा में उसके व्यवहार, दोस्तों के साथ उसके संबंध, उसकी सीखने की शैली और उसकी भावनात्मक स्थिति पर विस्तृत प्रतिक्रिया देनी चाहिए। इस तरह की समग्र चर्चाएं बच्चे की ताकत और कमजोरियों को पहचानने में मदद करती हैं। यह शिक्षकों और अभिभावकों को मिलकर बच्चे के लिए एक ऐसा सहायक और प्रेरणादायक वातावरण बनाने में सक्षम बनाती हैं, जहाँ वह अपनी पूरी क्षमता का एहसास कर सके।
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