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Up Kiran, Digital Desk: गर्मियों की दस्तक के साथ ही बाजारों में आम की मांग तेजी से बढ़ने लगती है और इसी मांग को पूरा करने की होड़ में कई किसान केमिकल का सहारा लेने लगते हैं ताकि आम जल्दी पक जाएं। पर क्या ये आम स्वाद और सेहत के लिहाज से वाकई बेहतर होते हैं।
केमिकल से पके आम देखने में आकर्षक और चमकदार लग सकते हैं पर स्वाद के स्तर पर अक्सर फीके रह जाते हैं। वहीं सेहत पर इनका असर धीरे-धीरे नुकसानदेह बन सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि केमिकल से पके आमों में कैल्शियम कार्बाइड और एथीफोन जैसे तत्व मिलाए जाते हैं जो पेट लीवर और नर्वस सिस्टम पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं।
देसी उपाय- जब स्वाद सेहत और खुशबू तीनों मिले
सहारनपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी और प्रोफेसर डॉ आईके कुशवाहा ने हमारे सहयोगी चैनल से बातचीत में बताया कि आज भी कई किसान ऐसे हैं जो पारंपरिक तकनीकों से आम को पकाकर न केवल ज़्यादा स्वादिष्ट आम तैयार करते हैं बल्कि लोगों की सेहत का भी ख्याल रखते हैं। तो कैसे पकाएं आम घर पर बिना केमिकल के। आइए जानें दो आसान और बेहद कारगर देसी उपाय-
अखबार से पकाएं आम
आम को पेड़ से तब तोड़ें जब उनका रंग थोड़ा हल्का पीला होने लगे। एक-एक आम को साफ और सूखे अखबार में लपेटें। अब इन्हें किसी गर्म और हवादार स्थान पर रखें—जैसे रसोई या बरामदा। 3 से 5 दिन में आम पूरी तरह पक जाएंगे—बिना किसी रसायन के। आप चाहें तो अखबार से लिपटे आमों को कैरेट या टोकरियों में भरकर ढककर भी रख सकते हैं।
भूसे में दबाकर पकाएं
भूसे में आम दबाने की यह परंपरा दशकों पुरानी है। एक परत भूसा बिछाएं उस पर आम रखें फिर ऊपर से भूसे से ढक दें। भूसा एक प्राकृतिक तापमान बनाए रखता है जिससे आम 4 से 6 दिन में मीठे और परिपक्व हो जाते हैं।
नेचुरल आम क्यों हैं ज़रूरी
नेचुरल तरीके से पके आमों का स्वाद अधिक प्रामाणिक और गाढ़ा होता है। इनमें केमिकल न होने के कारण सेहत को कोई खतरा नहीं होता। इन आमों की बाजार में मांग अधिक होती है जिससे किसानों को बेहतर दाम मिलते हैं। ग्राहकों में ऐसे फलों के लिए भरोसा और लगाव बढ़ता है।
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