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Up Kiran, Digital Desk: शिमला मिर्च न सिर्फ स्वादिष्ट होती है बल्कि पोषक तत्वों से भरपूर भी। यह रोगों से लड़ने की क्षमता मजबूत करती है और शरीर को स्वस्थ रखती है। शहरी जीवन में जहां ताजी सब्जियां महंगी पड़ती हैं वहां गमलों में इसे उगाना आत्मनिर्भरता का शानदार तरीका साबित हो सकता है। कुछ बुनियादी सावधानियां अपनाकर आप आसानी से घर पर इसकी पैदावार ले सकते हैं।

बेहतरीन बीजों से शुरुआत करें

शिमला मिर्च की सफल खेती के लिए प्रारंभ में बढ़िया बीज चुनना जरूरी है। ऐसे बीज पौधों को मजबूत और रोगमुक्त रखते हैं। आप इन्हें राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड की वेबसाइट से ऑर्डर कर सकते हैं।

बीजों को करीब एक सेंटीमीटर गहराई पर नर्सरी ट्रे या छोटे थैलियों में डालें और ऊपर हल्की मिट्टी छिड़कें। पानी हल्के से दें ताकि मिट्टी नम रहे लेकिन ज्यादा न डालें वरना बीज खराब हो सकते हैं। स्थानांतरण के दो-तीन महीने बाद घर पर ताजा फसल तैयार हो जाती है।

आम तौर पर बीज सात से दस दिनों में अंकुरित होते हैं जो मौसम और नमी पर निर्भर करता है। जब पौधे चार से छह इंच लंबे हो जाएं और उनमें चार-पांच पत्तियां आ जाएं तो उन्हें बड़े गमलों में लगाने का समय आता है। स्थानांतरण के दौरान जड़ों की सावधानी बरतें ताकि कोई हानि न हो।

उपजाऊ मिट्टी और पोषण का सही कॉम्बिनेशन

बता दें कि शिमला मिर्च को बढ़ने के लिए ऐसी मिट्टी चाहिए जिसमें पानी आसानी से निकल जाए और पोषण भरपूर हो। गमलों के लिए चालीस प्रतिशत बगीचे की मिट्टी तीस प्रतिशत गोबर खाद या केंचुआ खाद बीस प्रतिशत रेत या कोकोपीट और दस प्रतिशत नीम खली का मिश्रण आदर्श है। इससे पौधों को हवा नमी और जरूरी तत्व मिलते हैं।

मिर्च की अच्छी बढ़त के लिए प्रतिदिन छह से आठ घंटे सूरज की रोशनी जरूरी है। पानी देते वक्त संयम रखें क्योंकि अतिरिक्त पानी से पत्तियां पीली हो सकती हैं और जड़ें प्रभावित हो सकती हैं। हर सिंचाई से पहले मिट्टी की ऊपरी सतह थोड़ी सूखी होने दें।