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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों पर बहस तेज हो गई है. इस बार ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' या 'अमेरिका अलोन' (America Alone) नीति पर एक पूर्व अमेरिकी मंत्री ने ही गंभीर सवाल उठाए हैं. ओबामा प्रशासन में वाणिज्य सचिव (Commerce Secretary) रह चुकीं पेनी प्रित्जकर ने चेतावनी दी है कि ट्रंप की नीतियां अमेरिका को दुनिया में अकेला कर देंगी और भारत जैसे अहम दोस्त को नजरअंदाज करना अमेरिका की "एक बहुत बड़ी गलती" होगी.

हम भारत को हल्के में लेने की गलती कर रहे हैं"

एक इंटरव्यू में बोलते हुए, पेनी प्रित्जकर ने कहा कि ट्रंप की सोच "अमेरिका अकेला" वाली है, जो आज की आपस में जुड़ी हुई दुनिया में बिल्कुल काम नहीं कर सकती. उन्होंने खासतौर पर भारत के साथ रिश्तों को लेकर चिंता जताई.

उन्होंने कहा, "भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और हमारी अर्थव्यवस्थाएं गहराई से जुड़ी हुई हैं. मुझे चिंता है कि हम भारत को हल्के में ले रहे हैं. उन्हें नजरअंदाज करना या उन पर गैर-जरूरी दबाव बनाना एक बहुत बड़ी रणनीतिक गलती होगी."

प्रित्जकर का मानना है कि आज के समय में जब चीन जैसी ताकतें अपना प्रभाव बढ़ा रही हैं, तब भारत जैसे मजबूत और लोकतांत्रिक साथी का साथ होना अमेरिका के लिए बेहद जरूरी है.

क्या है ट्रंप की 'अमेरिका अलोन' पॉलिसी?

डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति का मूल सिद्धांत 'अमेरिका फर्स्ट' रहा है. इसका मतलब है कि हर फैसले में सिर्फ अमेरिका के हितों को सबसे ऊपर रखना, भले ही इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समझौतों को तोड़ना पड़े या पुराने दोस्तों से रिश्ते खराब करने पड़ें.

इस नीति के तहत ट्रंप ने कई बड़े कदम उठाए थे, जैसे:

कई अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों से बाहर निकलना.

चीन जैसे देशों पर भारी टैरिफ (आयात शुल्क) लगाना.

अपने सहयोगी देशों पर भी व्यापार के लिए दबाव बनाना.

आलोचकों का कहना है कि इस नीति ने अमेरिका को दुनिया में भरोसेमंद साथी की जगह एक अविश्वसनीय देश बना दिया.

भारत के लिए इसके क्या मायने हैं?

पेनी प्रित्जकर की चेतावनी इस बात की ओर इशारा करती है कि अगर ट्रंप दोबारा सत्ता में आते हैं, तो भारत-अमेरिका के मजबूत होते रिश्तों पर असर पड़ सकता है. ट्रंप प्रशासन भारत पर भी व्यापार और अन्य मुद्दों को लेकर दबाव बढ़ा सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो सकता है.

यह बयान ऐसे समय में आया है जब पूरी दुनिया की नजरें अमेरिकी चुनावों पर टिकी हैं, क्योंकि वहां का नतीजा सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि भारत जैसे देशों और पूरी वैश्विक व्यवस्था के भविष्य पर भी गहरा असर डालेगा.