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Up Kiran, Digital Desk: किसी लड़की से दोस्ती का मतलब यह नहीं कि किसी पुरुष को उसकी सहमति के बिना उसके साथ यौन संबंध बनाने का अधिकार मिल जाता है। यह एक ऐसा अहम न्यायिक फैसला है जो यह स्पष्ट करता है कि किसी भी रिश्ते में, चाहे वह दोस्ती का ही क्यों न हो, सहमति (consent) ही सर्वोपरि है।

अदालत ने यह साफ कर दिया है कि मित्रता या किसी भी प्रकार का संबंध किसी भी व्यक्ति को दूसरे की मर्जी के बिना शारीरिक संबंध बनाने का अधिकार नहीं देता।

 हर तरह के शारीरिक संबंध के लिए स्पष्ट और स्वतंत्र सहमति अनिवार्य है। 'हाँ' का मतलब 'हाँ' होता है, और 'ना' का मतलब 'ना'।

यह फैसला समाज में यौन हिंसा और सहमति के महत्व पर एक मजबूत संदेश देता है। यह हमें याद दिलाता है कि आपसी सम्मान और व्यक्तिगत सीमाओं का आदर करना किसी भी स्वस्थ रिश्ते की बुनियाद है।

 सहमति के बिना किए गए ऐसे किसी भी कार्य को बलात्कार माना जाएगा और उसके लिए कानून में सख्त प्रावधान हैं।

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