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Up Kiran, Digital Desk: चार दशकों से ईरान ने पश्चिम एशिया में एक संगठित छाया नेटवर्क खड़ा किया था एक ऐसा तंत्र जो खुद को “प्रतिरोध की धुरी” कहता था। इस गठबंधन का मकसद था ईरान की क्षेत्रीय पकड़ मजबूत करना इज़राइल और अमेरिका के प्रभाव को सीमित करना और सीधी सैन्य टकराव से खुद को सुरक्षित रखना। लेकिन अब जब इज़राइल ने पहली बार ईरानी भूमि को निशाना बनाते हुए अभूतपूर्व हवाई हमले किए हैं तो यह बहुचर्चित 'प्रतिरोध' खामोश दिख रहा है।

हिज़्बुल्लाह: चुप्पी के साये में

लेबनान स्थित शिया संगठन हिज़्बुल्लाह जिसे ईरान की सबसे बड़ी प्रॉक्सी ताकत माना जाता है अब तक कोई निर्णायक सैन्य प्रतिक्रिया नहीं दे सका है। कुछ साल पहले तक जो संगठन इज़राइल के खिलाफ एक भी हमला होने पर आग उगलता था वह अब शांत है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि 2023 से लगातार इज़राइली हवाई हमलों ने संगठन की क्षमताओं और मनोबल को बुरी तरह प्रभावित किया है। हसन नसरल्लाह की मौत इस गिरावट का प्रतीक बन गई। वर्तमान नेतृत्व नईम कासिम अब एक कट्टरपंथी नेता के बजाय लेबनानी राजनीतिज्ञ की भूमिका में दिखते हैं उनके दफ्तर की दीवारों पर अब अयातुल्ला खामेनेई की तस्वीर भी नहीं है।

हमास: खंडहरों में संघर्ष

ग़ाज़ा स्थित हमास अब एक ढह चुके आंदोलन की तरह लगता है। एक समय था जब यह संगठन इज़राइल के खिलाफ रॉकेट दागने में अग्रणी होता था। लेकिन अब लगातार बमबारी और सैन्य कार्रवाई के कारण हमास की अवसंरचना लगभग नष्ट हो चुकी है।

उसके नेता इस्माइल हनीयाह और याह्या सिनवार अब जीवित नहीं हैं। खालिद मशाल जैसे चेहरे कतर में निर्वासन में हैं। ग़ाज़ा के सुरंग नेटवर्क कमांड सेंटर और रॉकेट उत्पादन इकाइयों का अस्तित्व अब सवालों के घेरे में है।

इराकी मिलिशिया: हथियार से व्यापार तक

ईरान की एक और अहम शाखा इराक की शिया मिलिशिया भी अब लड़ाई से किनारा करती दिख रही है। कभी जो अमेरिकी सैनिकों पर लगातार हमले करते थे वे अब केवल सांकेतिक बयान तक सीमित हैं।

इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद अल-सुदानी ने इस मामले में नरम रवैया अपनाते हुए मिलिशिया कमांडरों से हिंसा से दूर रहने का आग्रह किया है। ऐसा लगता है कि ईरान की सबसे पुरानी रणनीति प्रॉक्सी वॉर अब बिखर रही है।

हौथी विद्रोही: मूक तैयारियाँ

यमन में हौथी विद्रोही इज़राइल के खिलाफ मिसाइलें दागने वाले एकमात्र सहयोगी रहे हैं। परंतु अमेरिका के एयरस्ट्राइक ने उनके कई हथियार प्लेटफॉर्म तबाह कर दिए हैं। अब वे सतर्क मुद्रा में हैं बोलते जरूर हैं पर कार्रवाई कम करते हैं।

वैश्विक मंच पर ईरान की 'धुरी'

ईरान सिर्फ पश्चिम एशिया में ही नहीं बल्कि रूस चीन और उत्तर कोरिया जैसे देशों के साथ मिलकर एक वैकल्पिक धुरी भी बनाता दिख रहा है जिसे कई विश्लेषक "CRINK" (China ,Russia, Iran ,North Korea) कहते हैं।

रूस ने हालिया इज़राइली हमलों की आलोचना तो की लेकिन खुद को निष्क्रिय ही रखा। चीन जो ईरानी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है तेहरान से आर्थिक संबंध तो मजबूत कर रहा है लेकिन संघर्ष से दूरी बनाए हुए है। उत्तर कोरिया की भूमिका अब भी गुप्त बनी हुई है लेकिन ऐतिहासिक रूप से उसने ईरान के मिसाइल कार्यक्रम में सहायता की है।

 

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