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Up Kiran, Digital Desk: इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बार-बार दावा करते रहे हैं कि गाज़ा में कुपोषण और भुखमरी से किसी की मौत नहीं होती, मगर गाज़ा की भयावह सच्चाई कुछ और ही है। यहाँ के लोग न केवल भूख से बल्कि कुपोषण से होने वाली गंभीर बीमारियों से भी जूझ रहे हैं। गाज़ा में इस समय एक खतरनाक वायरस फैल रहा है, जो 'लकवा' जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन रहा है। बच्चों के लिए यह स्थिति और भी भयावह है, क्योंकि लगातार भूख से उनके शरीर में ज़रूरी विटामिनों की कमी हो गई है।
'एक्यूट फ्लैसिड पैरालिसिस' के मरीज़ों की बढ़ती संख्या
गाज़ा के डॉक्टरों के अनुसार, 'एक्यूट फ्लैसिड पैरालिसिस' नामक एक दुर्लभ बीमारी के मरीज़ बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं। इस सिंड्रोम के कारण मांसपेशियों में अचानक कमज़ोरी आ जाती है और मरीज़ को साँस लेने और खाना निगलने में तकलीफ़ होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इज़राइली बमबारी के कारण गाज़ा की सीवेज और सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है, जिससे इस तरह की संक्रामक बीमारियाँ फैल रही हैं।
दो सालों में मरीज़ों की संख्या में वृद्धि
'पॉलिटिको' की एक खबर के अनुसार, अक्टूबर 2023 से पहले यह बीमारी बहुत दुर्लभ थी और साल में केवल 12 मामले ही सामने आते थे। मगर पिछले तीन महीनों में लगभग 100 नए मामले सामने आए हैं। जॉर्डन और इज़राइल में जाँच के लिए भेजे गए नमूनों में एंटरोवायरस की पुष्टि हुई है। यह वायरस दूषित पानी और गंदगी से फैलता है। खान यूनिस की गलियों में गंदा पानी और सीवेज आम हो गया है। इसके साथ ही, 'गुइलेन-बैरे सिंड्रोम' के मामले भी तेज़ी से बढ़ रहे हैं।
बच्चों पर सबसे ज़्यादा असर
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 31 जुलाई तक 15 साल से कम उम्र के बच्चों में इस बीमारी के 32 मामले सामने आए हैं। WHO ने कहा है कि इसके पीछे की वजह स्वास्थ्य सेवाओं का चरमराना, कुपोषण और खराब स्वच्छता है। इस साल, जाँचे गए लगभग 70% नमूने 'गैर-पोलियो एंटरोवायरस' पाए गए, जबकि पहले यह दर केवल 26% थी।
इलाज नहीं, दवाओं की कमी
डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों के इलाज के लिए लगभग कोई विकल्प नहीं है। गाजा के अल-शिफा अस्पताल में, जो 2024 की शुरुआत में एक इज़राइली हमले में तबाह हो गया था, 'गिलियन-बैरे सिंड्रोम' के 22 मामले सामने आए हैं। इनमें से तीन बच्चों की मौत हो गई है और 12 हमेशा के लिए 'लकवाग्रस्त' हो गए हैं। इस बीमारी के लिए 'इंट्रावेनस इम्यूनोग्लोबुलिन' और 'प्लाज्मा एक्सचेंज' जैसे आधुनिक उपचारों की आवश्यकता होती है। मगर इज़राइली नाकेबंदी के कारण गाजा में इन दवाओं और उपचार मशीनों की भारी कमी है।
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