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हालिया जी‑7 सम्मेलन और अन्य वैश्विक मंचों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की विविध शिल्प परंपरा को प्रदर्शित करने वाले अनूठे उपहार विदेशियों को भेंट किए। इन उपहारों में पीतल, चित्रकला, धातु और बुनकर कलाकृतियाँ शामिल थीं।

सबसे पहले, थाईलैंड के राजा को उन्होंने बिहार की पीतल की साधारण बुद्ध प्रतिमा दी, जो ध्यान मुद्रा में बनी थी। यह बुद्ध की शांति और स्पिरिचुअलिटी को दर्शाता है  ।

फिर, लाओस के राष्ट्रपति को तमिलनाडु की मीनाकार पीतल की बुद्ध प्रतिमा दी गई, जिसमें पारंपरिक तामचीनी का सुंदर काम दिखता है  । साथ ही उनकी पत्नी को पाटन पटोला डच स्कार्फ और सडेली बॉक्स दिया गया  ।

जापान के प्रधानमंत्री को पश्चिम बंगाल का सिल्वर नक्काशीदार मोर की मूर्ति भेंट की गई, जो भारतीय धातु कला के बेहतरीन उदाहरणों में से है  ।

ब्रिटेन के पीएम को गुलाबी मीनाकारी ब्रोच एवं कफ़लिंक सेट दिया गया, जो रंगीन मीना कला से सुसज्जित है। यह वाराणसी (उत्‍तर प्रदेश) की पारंपरिक कला के प्रतीक है  ।

अमेरिका के राष्ट्रपति के लिए भी ये गुलाबी मीनाकारी का सेट था  ।

इसके अलावा, शुद्ध चांदी की फिलिग्री क्लच पर्स (ओडिशा की क्लट) और अरागू कॉफी (आंध्र प्रदेश की आदिवासी फसल) ब्राज़ील के राष्ट्रपत्‍्रीय पत्नी को दी गई  ।

गुयाना के उपराष्ट्रपति को ओडिशा की फिलिग्री सिल्वर नाव उपहार में दी गई  । इसी तरह, नाइजीरिया के नेताओं को सोहराई चित्रकारी और सिलोफर पंचामृत कलश दिया गया  ।

इन उपहारों के ज़रिए पीएम मोदी ने विश्व को दिखाया कि भारत केवल एक लोकतांत्रिक और आर्थिक शक्ति ही नहीं, बल्कि कला, संस्कृति और शिल्प कौशल का भी पर्याय है। प्रत्येक उपहार किसी न किसी राज्य और शिल्प परंपरा को दर्शाता है—चाहे वह मध्य प्रदेश की कठपुतली हो, कश्मीर का पश्मीना, कर्नाटक का चन्नपटना खिलौना, या तमिलनाडु की थंजावुर पेंटिंग  । इन भेंटों से नये ऋतुशिल्पों को पहचान मिली, और सीमापार छोटे कारीगरों की मेहनत को भी मान्यता मिली।
 

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