_523370316.png)
Up Kiran, Digital Desk: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की दस्तक के साथ ही राजनीतिक दलों की गतिविधियां तेज हो गई हैं। अगले दो महीनों में होने वाले इस चुनाव को लेकर राज्य में सियासी पारा चढ़ चुका है। एक ओर जहां सत्ता पक्ष अपनी योजनाओं और फैसलों के दम पर जनसमर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहा है, वहीं विपक्ष जनता को आकर्षित करने के लिए बड़े-बड़े वादों का सहारा ले रहा है।
महिलाओं पर केंद्रित चुनावी रणनीति: दोनों खेमों की नजर
महिला मतदाताओं को साधने के लिए सभी दल आक्रामक रणनीति अपना रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ‘माई-बहिन मान योजना’ की घोषणा करते हुए यह वादा किया है कि अगर उनकी सरकार बनी तो राज्य की महिलाओं को हर महीने ₹2,500 की सहायता दी जाएगी। इसी क्रम में कांग्रेस ने भी अपनी सक्रियता दिखाई है। पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा महिलाओं के बीच राहुल गांधी की तस्वीर वाले सैनिटरी नैपकिन्स वितरित किए जा रहे हैं, जिससे महिला वर्ग से भावनात्मक जुड़ाव बनाया जा सके।
नीतीश कुमार का आरक्षण कार्ड
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनावी मैदान में एक बड़ा दांव खेलते हुए महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 35% डोमिसाइल आरक्षण देने के फैसले को कैबिनेट में स्वीकृति दिलवा दी है। यह आरक्षण अब राज्य की सभी सरकारी नौकरियों पर लागू होगा। इसके साथ ही डोमिसाइल नीति की भी शुरुआत कर दी गई है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह फैसला नीतीश कुमार का रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है, जो महिला मतदाताओं पर सीधा असर डाल सकता है।
युवाओं को साधने की कोशिश: रोजगार बनाम रोजगार
बेरोजगारी के मुद्दे पर भी सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं। जहां तेजस्वी यादव 10 लाख नौकरियों का वादा कर चुके हैं, वहीं नीतीश सरकार ने हाल ही में ‘युवा आयोग’ की स्थापना की घोषणा की है। यह आयोग युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर दिलाने में मदद करेगा। सरकार का दावा है कि 2020 के बाद अब तक 10 लाख से अधिक सरकारी नौकरियां दी जा चुकी हैं और विभिन्न योजनाओं के जरिए करीब 34 लाख युवाओं को रोजगार मिला है।
पेंशन योजना में बड़ा बदलाव, विपक्ष को झटका
वृद्ध, विधवा और दिव्यांग नागरिकों के लिए सामाजिक पेंशन योजनाओं में भी सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। नीतीश कुमार की सरकार ने इन पेंशन योजनाओं की राशि में तीन गुना तक की वृद्धि की है, जिससे विपक्ष की पेंशन संबंधी घोषणाओं का प्रभाव कम होता दिखाई दे रहा है।
चुनावी मैदान में दो धाराएं, जनता की कसौटी सबसे अहम
बिहार की राजनीति में फिलहाल दो प्रमुख धाराएं उभर कर सामने आई हैं—एक ओर अनुभव और योजनाओं पर भरोसा, और दूसरी ओर बदलाव के वादे। नीतीश कुमार की नीतिगत घोषणाएं और तेजस्वी यादव की जनाकर्षक योजनाएं, दोनों ही मतदाताओं को रिझाने की पूरी कोशिश कर रही हैं। चुनावी मुकाबला दिलचस्प होने वाला है, लेकिन अंतिम निर्णय तो बिहार की जनता के हाथों में ही होगा।
--Advertisement--