
Up Kiran, Digital Desk: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता को लेकर उठे विवाद पर सोमवार को केंद्र सरकार की आलोचना की।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "सरकार अभी भी यह मानने को तैयार नहीं है कि गलती हुई है। हमारे द्विपक्षीय मामलों में दखल देने वाले ट्रंप कौन होते हैं? सरकार को साफ तौर पर कहना चाहिए था कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है। लेकिन वे चुप रहे और अब तिरंगा यात्रा जैसी पहल के जरिए नुकसान की भरपाई में व्यस्त हैं।"
उन्होंने केंद्र सरकार के बयानों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा, "अब ट्रंप कह रहे हैं कि उन्होंने मध्यस्थ के तौर पर मदद की, जबकि भारत सरकार इसके उलट दावा कर रही है। यह स्पष्ट नहीं है कि कौन सच बोल रहा है। सरकार को इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।"
सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को लेकर उठे विवाद पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने सद्भावनापूर्वक नामों को नामित किया था, लेकिन सरकार ने बिना उचित कारण बताए उन्हें खारिज कर दिया। यह प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद पर भारत का रुख समझाने के लिए विभिन्न देशों का दौरा करेगा।
उन्होंने विपक्ष के नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को बुलाया, जिससे यह आभास हुआ कि हमारे सुझावों पर गौर किया जा रहा है।
लेकिन फिर उन्होंने हमारी सिफारिशों को दरकिनार करते हुए चार अलग-अलग नाम चुन लिए।'' उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर पार्टी में एक सम्मानित नेता हैं और उन्हें पूर्व विदेश राज्य मंत्री के रूप में अनुभव है।
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