सीडीएस लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने मौजूदा वैश्विक हालात को देखते हुए भारतीय सेना की चुनौतियों का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि एक तरफ यूरोप में युद्ध चल रहा है तो दूसरी ओर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की लगातार तैनाती और पड़ोसी देश पाकिस्तान में राजनीतिक और आर्थिक उथल पुथल भारतीय सेना के लिए एक अलग तरह की चुनौती पेश करते हैं।
चौहान ने कहा कि हालांकि चीन की पीएलए की तैनाती भारत की उत्तरी सीमा पर रोजाना नहीं बढ़ रही है, यह उतनी ही है जितनी दो हज़ार 20 में थी। महाराष्ट्र के पुणे में एनडीए की पासिंग आउट परेड के सीडीएस लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने समीक्षा की। उन्होंने कहा कि हम ऐसे समय में रह रहे हैं जब वैश्विक सुरक्षा की स्थिति बेहतर नहीं है और अंतरराष्ट्रीय भूराजनैतिक व्यवस्था लगातार बदलाव की स्थिति में है।
सीडीएस ने बताया कि पीएलए की तैनाती उत्तरी सीमा पर बढ़ नहीं रही। वह उतनी ही है जितनी दो हज़ार 20 में थी। भारतीय सेना हर संभव प्रयास कर रही है कि हालात न बिगड़े। उन्होंने कहा कि हम देपसांग और डेमचोक को छोड़कर सभी जगहों पर वापस जाने में सफल रहे हैं और इसे लेकर बातचीत जारी है। हमें अपने दावे की वैधता बनाए रखनी होगी। सीमा विवाद को सुलझाना अलग मुद्दा है। जिन इलाकों में हम दो हज़ार 20 से पहले पेट्रोलिंग करते थे, जिनपर हमारा दावा है, वहां यथास्थिति बनी हुई।
सीडीएस ने कहा, हमारी सेना एलएसी और एलओसी दोनों तरफ पड़ोसी देशों की सेनाओं पर कड़ी नजर रखते हैं। हमारी सेना एलओसी पर हमारे दावे की वैधता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। वे न केवल हमारे निकट बल्कि विस्तारित पड़ोस में भी शांति और स्थिरता बनाए रखने में रचनात्मक भूमिका निभाते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि तकनीकी वजह से हम सैन्य मामलों में एक नई क्रांति भी देख रहे हैं और भारत की सशस्त्र सेनाएं बड़े बदलाव की ओर हैं।
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