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Up Kiran, Digital Desk: हर माँ-बाप का सपना होता है कि उनका बच्चा स्कूल जाए, खूब पढ़े और जीवन में आगे बढ़े। लेकिन कई बार हालात ऐसे बनते हैं कि बच्चों को बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ती है। यह सिर्फ उस बच्चे के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक दुखद बात होती है। पर आज, एक ऐसी ख़बर आई है जो हम सभी के चेहरों पर मुस्कान ला देगी।

सरकार की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ सालों में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में लगातार कमी आई है। इसका मतलब यह है कि अब पहले से ज़्यादा बच्चे अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कर रहे हैं, जो एक उज्ज्वल भविष्य का संकेत है।

आइए, इन आंकड़ों को आसान भाषा में समझते हैं:

प्राइमरी लेवल पर (कक्षा 1 से 5): जहाँ पहले हर 100 में से लगभग 1.5 बच्चे स्कूल छोड़ देते थे, अब यह संख्या घटकर 1.2 रह गई है। यह एक छोटा सा सुधार लग सकता है, लेकिन इसका मतलब है कि हज़ारों और बच्चे अब अपनी नींव मजबूत कर रहे हैं।

अपर प्राइमरी लेवल पर (कक्षा 6 से 8): इस स्तर पर भी सुधार देखने को मिला है। पहले जहाँ ड्रॉपआउट दर 3.0% थी, वह अब घटकर 2.6% हो गई है।

सेकेंडरी लेवल पर (कक्षा 9 और 10): यह वो पड़ाव है जहाँ सबसे ज़्यादा बच्चे पढ़ाई छोड़ते थे। यहाँ सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। पहले यह दर 12.6% थी, जो अब घटकर 12.1% रह गई है।

यह बदलाव कैसे संभव हुआ?

इस सकारात्मक बदलाव के पीछे सरकार द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं का हाथ है। 'समग्र शिक्षा अभियान' जैसी योजनाओं के ज़रिए स्कूलों के माहौल को बेहतर बनाया गया है। स्कूलों में शौचालय, पीने का साफ पानी और बेहतर क्लासरूम जैसी बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान दिया गया है। जब बच्चों को स्कूल में एक अच्छा और सुरक्षित माहौल मिलता है, तो उनका भी मन पढ़ाई में लगा रहता है।

यह ख़बर सिर्फ कुछ आंकड़े नहीं है, यह इस बात का सबूत है कि जब सही दिशा में प्रयास किए जाते हैं, तो नतीजे ज़रूर मिलते हैं। हर एक बच्चा जो स्कूल में बना रहता है, वो सिर्फ अपने परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक बेहतर कल की उम्मीद लेकर आता है। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है।